न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
बार-बार अपनी व्यस्तता का हवाला देकर चुनाव आयोग के सामने पेश होने से बचते रहने के बाद आखिरकार चुनाव आयोग द्वारा तय की गयी डेडलाइन 28 जून की आ ही गयी। देखना है, सीएम हेमंत सोरेन आज भी चुनाव आयोग के सामने पेश होने से बचते हैं या खुद या अपने अधिवक्ता के माध्यम से चुनाव आयोग के सामने पेश होते हैं। देखना यह भी होगा, चुनाव आयोग सीएम हेमंत सोरेन की ओर से पेश की जाने वाली दलीलों से कितना संतुष्ट होता है। संतुष्ट होता है या नहीं। क्योंकि झारखंड हाई कोर्ट सीएम हेमंत सोरेन के खान लीज मामले में पहले ही मान चुका है कि मामला संगीन है और इस पर सुनवाई हो सकती है।
एक तरह से देखा जाये तो खनन पट्टा मामले में आज का दिन हेमंत सोरेन की कुर्सी बचाने का दिन है, लेकिन यह उनकी ओर से इस मामले में प्रस्तुत की जाने वाली दलीलों पर निर्भर करेगा। बता दें, जिस मामले में चुनाव आयोग के समक्ष सीएम हेमंत सोरेन या उनके अधिवक्ता की उपस्थिति अनिवार्य है उस मामले में हेमंत सोरेन के नाम पर ही झारखंड में खनन पट्टा आवंटित हुआ था। उन पर आरोप है कि सीएम रहते यह पट्टा उन्होंने खुद को आवंटित किया था। पट्टा मिलने पर झारखंड हाईकोर्ट में तो उनके खिलाफ केस हुआ ही, शिकायत मिलने पर राज्य के गवर्नर ने उसे चुनाव आयोग तक भेज दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को नोटिस भेजकर पूछा था कि ‘क्यों न आपकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी जाये’। इस नोटिस का जवाब सोरेन ने भेजा था। जिसके बाद चुनाव आयोग ने उन्हें निजी तौर पर तलब किया था।
झारखंड हाई कोर्ट में सरकार यह मान चुकी है कि हेमंत सोरेन को नियमों का उल्लंघन कर खनन पट्टा दिया गया। इस मामले में हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपना रखा है। अब अगर चुनाव आयोग जांच के बाद पाता है कि सोरेन ने नियमों का उल्लंघन कर लाभ का दूसरा जरिया अपनाया है, तो उनकी सदस्यता तक जा सकती है। चुनाव आयोग ने सीएम हेमंत को कई बार पूछताछ और अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया भी, लेकिन व्यस्तता या अन्य कारणों का हवाला देकर सीएम हेमंत अब तक आयोग के सामने जवाब से बचते रहे हैं, आखिर में चुनाव आयोग ने 28 जून की एक डेडलाइन तक दी थी। हेमंत सोरेन को आज निजी तौर पर पेश होकर यह बताना है कि उनके नाम जारी खनन पट्टे से उन्हें कोई लाभ हासिल हुआ है या नहीं।