न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
राजस्व का रोना रोने वाले झारखंड बिजली निगम ने इस बार कमाल किया है। बीते महीने दिसंबर में बिजली निगम ने पहली बार राजस्व कलेक्शन 500 करोड़ से पार पहुंचा दिया है। यह कलेक्शन बिजली निगम के निर्धारित 400 करोड़ से कहीं ज्यादा है। इसके दो कारण हो सकते हैं। एक तो बिजली निगम ने इस बार राजस्व इकट्ठा करने में कुछ सख्ती बरती है, दूसरा कारण स्मार्ट मीटर हो सकता है। वैसे तो अभी स्मार्ट मीटर अभी सिर्फ लगने शुरू हुए है, लेकिन लोगों के दिमाग में यह बात जरूर घर कर गयी होगी कि अब बिजली बिल अपडेट रखना है, नहीं तो उनकी बिजली कट हो जायेगी, वह भी अपने आप।
बिजली बिल कलेक्शन में बरती गयी सख्ती
झारखंड में बिजली बिल कलेक्शन में बिजली क्षेत्र के दो आईएएस की सख्ती का असर दिखा है। इसके कारण झारखंड गठन के बाद पहली बार जेबीवीएनएल ने बिजली बिल मद में दिसंबर माह में 510 करोड़ रुपये राजस्व का संग्रहण किया। दिसंबर माह में 400 करोड़ का लक्ष्य दिया गया था, मगर लक्ष्य से भी अधिक 510 करोड़ रूपए का राजस्व संग्रहण करके जेबीवीएनएल ने रिकार्ड कायम किया है. अगर इसी प्रकार से राजस्व संग्रहण होता रहा तो आने वाले दिनों में जेबीवीएनएल अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है।
ऊर्जा सचिव, उर्जा विकास निगम के सीएमडी सह एमडी जेबीवीएनएल अविनाश कुमार और जेबीवीएनएल निदेशक कॉर्मिशियल मनीष कुमार के निर्देश पर बिजली बिल वसूलने में सख्ती बरती गयी। निदेशक कॉर्मिशियल मनीष कुमार ने लगातार बैठकें कीं, दिशा-निर्देश दिये, साथ ही अपने कलिग अफसरों का हौसला अफजाई भी करते रहे. जिसका परिणाम रहा कि जेबीवीएनएल ने रिकार्ड कायम कर दिखाया। जानकारी के अनुसार जेबीवीएनएल का अंतिम रिकार्ड 2008 में करीब 400 करोड़ रूपए राजस्व संग्रहण का रहा है.।
जेबीवीएनएल ही नहीं, आम उपभोक्ताओं को भी होगा फायदा
अगर इसी तरह से जेबीवीएनएल अपने राजस्व संग्रहण करते रहा तो वह दिन दूर नहीं जब यह अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. इसके बाद इसका सीधा असर बिजली खरीदी और बकाया भुगतान करने पर पड़ेगा। रेवन्यू गैप कम होगा। इसके बाद जो संकट पिछले दिनों बिजली को लेकर हुआ। उससे बचा जा सकता है। बकाया होने के कारण जेबीवीएनएल एक मेगावाट अतिरिक्त बिजली नहीं खरीद पा रहा था। राजस्व संग्रहण ठीक से होने से नियमित रूप से बिजली कंपनियों को लिए जाने वाले बिजली मद का भुगतान हो सकेगा और नियमित तौर पर डिमांड के अनुसार बिजली खरीदी की जा सकेगी।
खर्च और कलेक्शन में अभी भी अन्तर
- बिजली खरीदी और स्थापना मद में जेबीवीएनएल का मासिक खर्च : 683 करोड़
- दिसंबर माह का तय राजस्व का लक्ष्य : 400 करोड़
- दिसंबर माह में जेबीवीएनएल का राजस्व संग्रहण : 510 करोड़
- आम जनता को मिल रही सब्सिडी मद में सरकार से मिली राशि : 200 करोड़
बिजली बिल कलेक्शन सही रहने का फायदा सभी को
जेबीवीएनएल का बिजली कलेक्शन इसी तरह या इससे बेहतर रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में जेबीवीएनएल अपने पैरो पर खुद खड़ा हो जायेगा। रेवन्यू गैप कम होने का फायदा न सिर्फ जेबीवीएनएल को मिलेगा, बल्कि बिजली खरीद और बकाए भुगतान में आसानी होगी। बकाए के कारण कभी डीवीसी बिजली में कटौती कर देता है। बकाए के कारण जेबीवीएनएल अतिरिक्त बिजली खरीदी नहीं कर सकता है। बकाया नहीं होने पर बिजली खरीदी में दिक्कतें नहीं होगी।
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