झारखंड कांग्रेस के विधायक दल के नेता रामेश्वर उरांव व प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने 1 अक्टूबर 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन को तुरंत रद्द करने की मांग की है. साथ ही, दलित समुदायों के लिए जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए सबको जाति प्रमाण पत्र देने की मांग की है एवं भूमिहीन दलित परिवारों को ज़मीन पट्टा देने की मांग की है.
पत्र में कहा गया है कि रघुवर दास सरकार ने राज्य के 22 लाख एकड़ सामुदायिक ज़मीन को लैंड बैंक में डाल दिया था. इसके लिए ग्राम सभा की सहमति नहीं ली गयी थी. लैंड बैंक पेसा कानून का खुला उल्लंघन है. आदिवासी गाँव में गाँव की सामुदायिक भूमि का विशेष महत्त्व होता है. यह भी कहा गया है कि पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा लागू की गयी भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 के तहत निजी व सरकारी परियोजनाओं के लिए बिना ग्राम सभा की सहमति व बिना सामाजिक प्रभाव आंकलन के बहुफसलीय भूमि समेत निजी व सामुदायिक भूमि का जबरन अधिग्रहण करने का प्रावधान है. यह भी पेसा कानून का उल्लंघन है. पत्र में मांग किया गया है कि तुरंत लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 को तुरंत रद्द किया जाए.
साथ ही, पत्र में दलित समुदायों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने में हो रही समस्या का उल्लेख किया गया है. राज्य में भुइयां, डोम, वाल्मीकि, बांसझोर समेत 27 सूचिबद्ध दलित (अनुसूचित जाति) जाति व उपजाति हैं. इनमें अधिकांश भूमिहीन हैं. राज्य के लाखों दलित परिवारों के सदस्य जाति प्रमाण पत्र से वंचित हैं. पत्र में मांग किया गया है कि तुरंत दलित समुदायों का जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल किया जाए व जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाए. साथ ही, भूमिहीन दलित परिवारों को ज़मीन का पट्टा दिया जाए.
गौर करें कि झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान द्वारा लगातार इन मांगों को उठाया जा रहा है.
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