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Jharkhand: बिजली कटौती पर है मुआवजे का प्रावधान, ट्रांसफॉर्मर नहीं बनने पर भी मिलता है मुआवजा?

Jharkhand: Compensation provision on power cut, compensation for non-construction of transformer

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

झारखंड विद्युत नियामक आयोग की 16वीं बैठक में यह जानकारी सामने आयी कि बिजली कटौती होती है तो कैसे उपभोक्ता मुआवजे के हकदार होंगे। इतना ही नहीं, ट्रांसफॉर्मर खराब होने पर, जल जाने पर समय पर नहीं बनता है तब भी उपभोक्ता मुआवजे के हकदार होंगे। आयोग की यह बैठक बुधवार को जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में हुई। बैठक में उठी समस्याओं के जवाब में जस्टिस गुप्ता ने कहा कि अगर बिना समय व बिना जानकारी के बिजली की कटौती होती है, तो इसके लिए उपभोक्ता मुआवजा के हकदार हैं।

जेसिया भवन कोकर में समिति की बैठक में जस्टिस गुप्ता ने कहा कि 19 सदस्यीय छठी सलाहकार समिति का गठन 26 दिसंबर 2022 को हुआ था। समिति के गठन के बाद यह पहली बैठक है। बैठक में आयोग के सदस्य अतुल कुमार व महेंद्र प्रसाद, जेबीवीएनएल की ओर से निदेशक केके वर्मा, ऋषि नंदन, जेसिया के सचिव अंजय पचेरीवाल, डीवीसी, टाटा स्टील, सेल के अधिकारी आदि उपस्थित थे।

आयोग की बैठक में कई समस्याओं पर चर्चा

बैठक में समिति की एक सदस्य सिलागांई की हेमलता उरांव ने बिजली वितरण निगम के अधिकारियों को गांव की समस्या से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि उनके गांव में छह घंटे से ज्यादा बिजली नहीं रहती है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उनके गांव में ट्रांसफॉर्मर जल जाये तो कई दिनों तक उसकी मरम्मत नहीं होती है। अपनी समस्याओं को रखते हुए हेमलता उरांव ने कहा कि बिजली वितरण निगम के अधिकारी दो दिन उनके गांव में रहें तब उन्हें उनके गांव की समस्या के बारे में पता चल जायेगा। उनकी शिकायत पर जेबीवीएनएल के अधिकारियों ने एतराज जताते हुए उन्हीं से कहा कि वह अपने गांव में दो दिन बिताएं तब पता चल जायेगा कि कितनी बिजली रहती है। लेकिन ट्रांसफॉर्म की समस्या पर आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अगर ट्रांसफॉर्मर समय पर नहीं बनता है तो उपभोक्ता मुआवजा के हकदार है और वे इसके लिए रिड्रेसल फोरम में अपील कर सकते हैं।

बिजली की कमी से उद्योग बंद होने के कगार पर

बैठक में झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव अंजय पचेरीवाल ने उद्योग जगत की समस्या रखी। उन्होंने कहा कि उद्योगों को समुचित बिजली नहीं मिल पा रही है। देखा जाये तो उद्योगों को महीने में 150 घंटे से अधिक बिजली नहीं मिल पा रही है। इसलिए उत्पादन के लिए उद्योगों को जेनरेटर का सहारा लेना पड़ता है। बिजली की इस समस्या के कारण छोटे उद्योगों पर बंद होने का खतरा भी मंडरा रहा है। अंजय पचेरीवाल ने खूंटी के एक लाह उद्योग कंपनी का उदाहरण देते हुए कहा कि यह निर्यात का काम करने वाली यह कंपनी बिजली की कमी के कारण उपना उद्योग बंद करने की सोच रही है। आयोग के अध्यक्ष ने इसे गंभीर मुद्दा बताया और कहा कि ऐसे में तो राज्य का काफी नुकसान होगा।

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