न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
झारखंड शायद देश की पहली विधानसभा है जहां, नमाज पढ़ने के लिए अलग से कमरा आवंटित किया गया था जिसके विरोध में एक याचिका झारखंड हाई कोर्ट ने दायर की गयी है। जिस पर 2 मई को सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने झारखंड विधानसभा से सवाल भी किया और जवाब देने के लिए 18 मई यानी गुरुवार की तारीख तय की थी। झारखंड विधानसभा की ओर से इस सम्बंध में शपथ-पत्र कोर्ट को दिया गया है। कोर्ट ने प्रार्थी को फिर से अपना जवाब दाखिल करते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 जून तय कर दी है।
झारखंड विधानसभा द्वारा अपने शपथ-पत्र में कोर्ट को बताया गया कि मामले की जांच चल रही है। जांच के लिए 7 विधायकों की सर्वदलीय समिति गठित की गयी है जो 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देने वाली है। विधानसभा की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि देशभर की विधानसभाओं से नमाज कक्ष को लेकर रिपोर्ट मगांई गयी है। उस रिपोर्ट के आधार पर विधायकों की समिति अपनी रिपोर्ट देगी।
याचिकाकर्ता क्यों कर रहा नमाज कक्ष का विरोध?
2021 में विधानसभा परिसर में नमाज अदा करने के लिए एक कमरा आवंटित किया गया था। जिसको लेकर राज्य में काफी विवाद खड़ा हुआ था। विपक्षी भाजपा सदस्यों के हंगामे की वजह से विधानसभा की कार्यवाही कई दिनों तक बाधित रही थी। नमाज पढ़ने के लिए अलग कमरा आवंटित करने से उत्पन्न विवाद झारखंड हाई कोर्ट पहुंच गया। अजय कुमार मोदी ने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिए आवंटित कमरे के आदेश को चुनौती दी है। याचिका के माध्यम से अदालत को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी धर्म विशेष के लिए विधानसभा में कमरा आवंटन करे। उनका कहना है कि जनता के पैसे से बने कोई भी भवन को किसी धर्म विशेष के लिए आवंटित नहीं किया जा सकता है। धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान में स्पष्ट है। यह दूसरे धर्मावलंबियों के साथ असमानता है जो समानता के अधिकार के भी विरुद्ध है। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष के इस आदेश को रद्द करने की मांग की है।
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