न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (CJI) एनवी रमना आज झारखंड दौरे पर हैं। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को छात्रवृत्ति देने और दो सब डिवीजन कोर्ट का उद्घाटन करने झारखंड आये हैं। गढ़वा के नगर उंटारी के अनुमंडलीय न्यायालय और सरायकेला-खरसावां जिला उप-मंडल न्यायालय, चांडिल का शुभारम्भ किया। मुख्य न्यायाधीश कार्यक्रम को सम्बोधित किया और अपने सम्बोधन में मीडिया को आड़े हाथों भी लिया। साथ ही न्यायपालिका पर लगातार हो रहे हमलों पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि मीडिया कंगारू कोर्ट चला रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। मुख्य न्यायाधीश का मीडिया को कंगारू करने का तात्पर्य यह भी कि मीडिया न्यायालयों के आदेशों को इस प्रकार पेश करता है कि वह अलग ही प्रतीत होने लगता है। यानी ‘कोर्ट’ बनकर अलग ही ’आदेश’ जारी कर देता है।
मुख्य न्यायाधीश का कहना था कि सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपनी जिम्मेवारी सही तरीके से नहीं निभा रहे हैं। उनकी आदत अदालतों के आदेश को तोड़-मरोड़कर पेश करने की हो गयी जिसके कारण देश के सामने न्यायपालिका की छवि गलत पेश हो रही है। इसका असर देशभर के न्यायाधीशों पर पड़ रहा है और उनके दिये गये आदेश पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। उन्होंने मीडिया को इस आदत से बचने की सलाह दी। उन्होंने प्रिंट मीडिया को इलेक्ट्रॉनिक से ज्यादा जवाबदेह बताया।
देश में लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह मुद्दा भी मुख्य न्यायाधीश ने उठाया। उन्होंने माना कि देश में लम्बित मामलों की शिकायत की जाती है, यह सही भी है। न्यायिक ढांचे को सुधारने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कई मौकों पर उन्होंने खुद लंबित मामलों के मुद्दों को उजागर किया है। मगर, न्यायपालिका को सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के बुनियादी ढांचे को सुधारने की जरूरत है। लेकिन उन्होंने यह भी माना कि लोगों ने एक गलत धारणा बना ली है कि जजों का जीवन बहुत आसान है, पर ऐसी बात नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश ने इसके अलावा एक और चिन्ता न्यायपालिका पर हो रहे हमलों पर भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इन दिनों न्यायाधीशों पर शारीरिक हमले बढ़े हैं। फिर भी बिना किसी सुरक्षा या सुरक्षा के आश्वासन के न्यायाधीशों को उसी समाज में रहना होगा, जिस समाज में उन्होंने लोगों को दोषी ठहराया है। लोकतांत्रिक जीवन में न्यायाधीश का स्थान विशिष्ट होता है। वह समाज की वास्तविकता और कानून के बीच की खाई को पाटता है, वह संविधान की लिपि और मूल्यों की रक्षा करता है। उसकी भी तो रक्षा होनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने इस कार्यक्रम के दौरान कोरोना काल में अपने माता-पिता खो चुके बच्चों के बीच प्रोजेक्ट शिशु के तहत छात्रवृत्ति का वितरण भी किया। कार्यक्रम का आयोजन झारखंड राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (झालसा), रांची न्यायिक अकादमी झारखंड और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (एनयूएसआरएल), रांची द्वारा आयोजित किया गया।