Jharkhand Caste Survey: झारखंड की चपंई सोरेन सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, आज एक बैठक में सर्वसम्मति से महागठबंधन के सभी सहयोगी दलों ने राज्य में जातीय सर्वेक्षण कराने पर सहमति जताई है. यह फैसला मुख्यमंत्री सोरेन की अगुआई में बुधवार को लिया गया. इसके लिए झारखंड कार्यपालिका नियमावली में अमेंडमेंट करते हुए कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग को कास्ट सर्वे का दायित्व सौंपा गया है. यह जानकारी सरकार की कैबिनेट सेक्रेटरी वंदना डाडेल ने दी.
सर्वे का क्या है मकसद?
कैबिनेट में पारित प्रोपोजल में कहा गया है कि जातीय सर्वेक्षण का मकसद राज्य में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और ओबीसी वर्ग (OBC) को बराबर समानता का अवसर प्रदान करना है. चंपई कैबिनेट की तरफ से पारित प्रपोजल में फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि कास्ट सर्वे की प्रक्रिया क्या होगी और इसकी शुरुआत कब से होगी? इसकी पूरी रूपरेखा कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ( Department of Personnel and Administrative Reforms ) तय करेगा.
बिहार के बाद बना दूसरा राज्य
बता दें कि बिहार में कास्ट सर्वे पूरा होने के बाद झारखंड दूसरा राज्य है, जिसने इस तरह का सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया है. इस फैसले को चंपई सोरेन का बड़ा दांव माना जा रहा है, क्योंकि झारखंड में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होनोे की उम्मीद है. इस चुनाव से पहले झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ये फैसला लेकर विपक्षी पार्टियों को चौंका दिया है.
इसके पहले राज्य सरकार ने राज्य में 49 नगर निकायों ( Municipal Bodies ) का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी इनका चुनाव ओबीसी रिजर्वेशन का फीसदी तय करने के नाम पर रोक दिया था. सरकार का कहना है कि नगर निकायों के इलेक्शन में ओबीसी को रिजर्वेशन दिया जाएगा. इसके लिए राज्य के पिछड़ा वर्ग कमीशन को ओबीसी आबादी के सर्वेक्षण का दायित्व सौंपा गया है. फिलहाल सर्वेक्षण का काम शुरू नहीं हो सका है.
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