Jharkhand: बीजेपी ने बदली रणनीति, अब पकड़ी हार्ड हिंदुत्व की राह!

Jharkhand BJP Strategy: लोकसभा चुनावों में यूपी के भीतर बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहा.  हालांकि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार तीसरी बार जरूर बनी, लेकिन बीजेपी अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई और पार्टी को 240 सीटों पर संतोष करना पड़ा.

कट्टर हिंदुत्व की राह पर उतर गई बीजेपी! 

2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी अपनी करारी हार से सबक लेते हुए कट्टर हिंदुत्व की राह पर उतर गई है. योगी आदित्यनाथ की सफलता को देखते हुए अन्य मुख्यमंत्री भी उनकी राह पर चलने की कोशिश कर रहे हैं. जहां बीजेपी को यह बात समझ में आ गई है कि मुस्लिम समाज का उन्हें वोट बिल्कुल भी नहीं मिलने वाला है. वहीं अब वह खुलकर हिन्दू हित की बात करने लगी है. बीजेपी ने कुंभ के जरिए सियासी जंग फतह करने की रणनीति पर अपने कदम बढ़ा दिए हैं. चाहे वह यूपी -बिहार हो, मध्यप्रदेश, राजस्थान या झारखण्ड, हार्ड हिंदुत्व राज्य दर राज्य आगे बढ़ता जा रहा है.

पीएम मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ तक ने की हिन्दू हित की बात 

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद क्या बीजेपी कट्टर हिंदुत्व की ओर वापस लौट रही है? सबका साथ, सबका विश्वास में क्या विश्वास कम हो रहा है? यह सवाल हाल के दिनों में बीजेपी के कुछ नेताओं की ओर से दिए गए बयान के बाद खड़े हो रहे हैं. झारखंड (Jharkhand BJP) की बात करें तो विधानसभा चुनाव में प्रचार करने गढ़वा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि यहां दुर्गा माता की प्रतिमा को रोक दिया जाता है, स्कूलों में सरस्वती वंदना बंद कर दी जाती है. बांग्लादेशी घुसपैठिए राज्य का माटी, बेटी और रोटी पर कब्जा कर रहे हैं. भाजपा के स्टार प्रचारक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार करने पहुंचे तो हिन्दुओं को एक नहीं होने का खतरा बताया, कहा कि बंटोगे तो जमीन भी जाएगी और कटने के लिए भी तैयार रहना होगा. वहीं असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा (Jharkhand BJP)के चुनाव प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को जोर शोर से उछाला. हालांकि झारखंड में घुसपैठियों और हिंदुत्व का मुद्दा नहीं चला, और महागठबंधन का ‘माटी और माई हावी’ रहा. वहीं अब झारखंड बीजेपी रणनीति बदलती और खुलकर कट्टर हिंदुत्व की ओर लौटती दिख रही है.

गिरिडीह का घोड़थम्भा हिंसा मामला, किसने क्या कहा

झारखंड में विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी अपनी स्ट्रेटजी बदलती दिख रही है. इसका ताजा उदाहरण झारखंड के गिरिडीह जिले के घोड़थम्भा में 14 मार्च को होली के दिन दो गुटों के बीच हिंसक झड़प के बाद देखने को मिला है. जिसके बाद पुलिस की कार्रवाई को लेकर राज्य में सियासी आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है. भारतीय जनता पार्टी के नेता जहां इस घटना को हेमंत सोरेन की सरकार और प्रशासन की नाकामी बता रहे हैं , वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा नीत सरकार पर तीखे हमले बोलने से नहीं चूक रहे, जिसमें पार्टी की हार्ड हिंदुत्व की झलक दिख रही है.

झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने घोड़थम्भा हिंसा के मामले में प्रशासन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर को कोई शिकायतवाद नहीं, बल्कि हिंदुओं पर हुए हमले का एक पूर्व नियोजित खाका बताया.

उन्होंने हेमंत सरकार की मानसिकता को हिंदू विरोधी बताया. इसके अलावा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी इस घटना को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस घटना को वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा बताया है.

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस, झारखंड- बिहार

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