न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
हर भाषा सम्माननीय है, उसका किसी स्तर पर अपमान नहीं किया जा सकता। लेकिन राजनीति वह मंच है, जो अनेक जगहों पर एकपक्षीय हो जाता है। उसी का ही नतीजा है झारखंड में भाषा विवाद। राज्य सरकार ने राज्य में जो भाषा विवाद छेड़ दिया है, उसे अब हर तरफ से शांत करना मुश्किल है। आग एक तरफ बुझेगी, तो दूसरी तरफ लग जायेगी। विवाद की आग किसी न किसी कोने में लगी अवश्य दिखाई देगी।
झारखंड का भाषा विवाद क्या है? झारखंड का भाषा विवाद समझने बैठेंगे तो आप उलझ कर रह जायेंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं में कई स्थानीय भाषाओं को तरजीह दी जा रही है, उनमें आपको हिन्दी नदारद नजर आयेगी। और ऊर्दू को किस लिहाज से स्थानीय भाषा मान कर हर जिले पर थोपा गया है, वह भी समझ से परे है। सरकार भले ही झारखंड की परीक्षाओं से हिन्दी से कन्नी काट रही हो, लेकिन राज्य का सारा कामकाज हिन्दी में ही होता है और आगे भी होगा। झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य होगा जिसे अपने लिए कोई एक स्थानीय भाषा चुन पाना टेढ़ी खीर साबित होगा। देश के दूसरे राज्यों में भी भाषा विवाद है, लेकिन वहां की सरकारें अपनी भाषा में अपना काम कर रही हैं। महाराष्ट्र में मराठी, गुजरात में गुजराती, बंगाल में बंगाली, आंध्र प्रदेश में तेलुगु, तमिलनाडु के तमिल, कर्नाटक में कन्नड़, वगैरह, वगैरह…। इसके बाद भी झारखंड व्यर्थ का भाषा विवाद खड़ा किये हुए है। काम हिन्दी में करना है, बोलना हिन्दी में है, सरकारी कामकाज हिन्दी में होगा, फिर…
खैर, इस विषय पर बड़ी बहस हो सकती है। झारखंड की हेमंत सरकार को इतनी समझ तो आयी कि भाषा विवाद को थोड़ा कम कर दिया जाये। इसके राजनीतिक मायने निकाले जा सकते हैं। इस विवाद में सहयोगी दलों के बिदकने का खतरा हेमंत सरकार नहीं ले सकती है। लेकिन एक दल तो अब भी बिदक सकता है, वह है राजद। राजद को भोजपुरी और मगही का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा। जेल जाने से पहले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इस पर बोल भी चुके हैं।
फिलहाल, हेमंत सरकार ने विरोध को ध्यान में रखकर बोकारो और धनबाद की यह मांग मान ली कि वहां भोजपुरी, मगही और अंगिका जैसी भाषाओं को न थोपा जाये। कांग्रेस विधायक राजेश ठाकुर और मंत्री आलमगीर आलम ने शुक्रवार को सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात भी की थी। उसेक बाद बोकारो और धनबाद ही नहीं, कई जिलों से भोजपुरी और मगही भाषा की मान्यता को समाप्त कर दिया गया है। इस संबंध में कार्मिक विभाग ने अधिसूचना भी जारी की है। अधिसूचना में मैट्रिक और इंटर स्तर की प्रतियोगिता परीक्षाओं में जिला स्तरीय पदों के लिए इन भाषाओं को हटाते हुए क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की सूची जारी की गयी है। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग ने 24 दिसंबर को जारी जिलेवार क्षेत्रीय-जनजातीय भाषाओं की सूची में संशोधन किया है।
भाषा को लेकर जारी नयी सूची
रांची
- जनजातीय भाषा – कुड़ुख, खड़िया, मुंडारी, हो, संथाली
- क्षेत्रीय भाषा- पंचपरगनिया, उर्दू, कुरमाली, बांग्ला
लोहरदगा
- जनजातीय भाषा – कुड़ुख, असुर, बिरजिया
- क्षेत्रीय भाषा – उर्दू, नागपुरी
गुमला
- जनजातीय भाषा – कुड़ुख, खड़िया, असुर, बरहोरी, बिरजिया, मुंडारी
- स्थानीय भाषा – उर्दू, नागपुरी
सिमडेगा
- जनजातीय भाषा – खड़िया, मुंडारी, कुड़ुख
- स्थानीय भाषा – उर्दु, नागपुरी
पश्चिमी सिंहभूम
- जनजातीय भाषा – हो, भूमित, मुंडारी, कुड़ुख
- स्थानीय भाषा – कुरमाली, उर्दू उड़िया
पूर्वी सिंहभूम
- जनजातीय भाषा – मुंडारी, हो, भूमिज, संथाली, कुड़ुख
- स्थानीय भाषा – कुरमाली, उर्दू, बांग्ला, उड़िया
सरायकेला
- जनजातीय भाषा – संथाली, मुंडारी, भूमिज, हो
- स्थानीय भाषा – पंचपरगनिया, उर्दू, उड़िया, बांग्ला, कुरमाली
लातेहार
- जनजातीय भाषा – कुड़ुख, असुर, बिरजिया
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, उर्दू, मगही
पलामू
- जनजातीय भाषा – कुड़ुख, असुर
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, उर्दू, मगही, भोजपुरी
गढ़वा
- जनजातीय भाषा – कुड़ुख
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, मगही, उर्दू, भोजपुरी
दुमका
- जनजातीय भाषा – संथाली, माल्टो
- स्थानीय भाषा – खोरठा, बांग्ला, उर्दू, अंगिका
जामताड़ा
- जनजातीय भाषा – संथाली
- स्थानीय भाषा – खोरठा, उर्दू, बांग्ला, अंगिका
साहेबगंज
- जनजातीय भाषा – संथाली, माल्टो
- स्थानीय भाषा – खोरठा, उर्दू, बांग्ला, अंगिका
पाकुड़
- जनजातीय भाषा – संथाली माल्टो
- स्थानीय भाषा – खोरठा, बांग्ला, उर्दू, अंगिका
गोड्डा
- जनजातीय भाषा – संथाली, माल्टो
- स्थानीय भाषा – खोरठा, उर्दू, अंगिका, बांग्ला
हजारीबाग
- जनजातीय भाषा – संथाली, कुड़ुख, बिरहोरी
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, कुरमाली, उर्दू, खोरठा
कोडरमा
- जनजातीय भाषा – संथाली
- स्थानीय भाषा – कुरमाली, उर्दू, खोरठा
चतरा
- जनजातीय भाषा – संथाली, कुड़ुख, मुंडारी, बिरहोरी
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, उर्दू, खोरठा, मगही
बोकारो
- जनजातीय भाषा – संथाली, हो, मुंडारी
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, उर्दू, बांग्ला
धनबाद
- जनजातीय भाषा – संथाली
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, खोरठा, कुरमाली, उर्दू, बांग्ला
गिरिडीह
- जनजातीय भाषा – संथाली
- स्थानीय भाषा – खोरठा, उर्दू, कुरमाली
देवघर
- जनजातीय भाषा – संथाली
- स्थानीय भाषा – खोरठा, अंगिका, उर्दू, बांग्ला
रामगढ़
- जनजातीय भाषा – संथाली, कुड़ुख, बिरहोरी
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, उर्दू, कुरमाली, खोरठा
खूंटी
- जनजातीय भाषा – कुड़ुख, खड़िया, मुंडारी
- स्थानीय भाषा – नागपुरी, पंचपरगनिया, उर्दू, कुरमाली
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