न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एक महीने में दूसरी बार दिल्ली तलब किये गये हैं। बाबूलाल मरांडी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे और झारखंड की राजनीतिक स्थितियों पर मंत्रणा करेंगे। राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना के तुरंत बाद बाबूलाल को दिल्ली तलब किये जाने के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
बता दें, राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना में देशभर में एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में जिस प्रकार जमकर क्रॉस वोटिंग हुई है। उससे खुद भाजपा भी अचम्भित है। क्रॉस वोटिंग की खबरें आने के बाद इसको लेकर सियासय भी गर्म हो गयी है। बिहार के साथ झारखंड में भी क्रॉस वोटिंग हुई है। दोनों राज्यों में जिन पार्टियों से क्रॉस वोटिंग हुई है, वे पार्टियां अब आगे की राजनीतिक को लेकर सशंकित हो गयी है। लेकिन इस क्रॉस वोटिंग से भाजपा की बाछें खिल गयी हैं। पूरे देश में ‘क्या कोई नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है’ को लेकर भाजपा सतर्क हो गयी है। खबर तो यह भी आ रही हैं कि इस क्रॉस वोटिंग के पैटर्न को लेकर भाजपा आन्तरिक अध्ययन भी करवा रही है।
यही वजह है कि क्रॉस वोटिंग की सियासी हलचल के बीच झारखंड के भाजपा के वरिष्ठ नेता तो भाजपा आलाकमान द्वारा दिल्ली बुला लेना राज्य के राजनीतिक हलकों में हलचल मचाने जैसा है। झारखंड में भले ही झामुमो, कांग्रेस और राजद की सरकार चल रही है, लेकिन सरकार के अंदर सबकुछ ठीक ठाक नहीं है। सरकार की प्रमुख पार्टी झामुमो और उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी में आपसी खींचतान तो चल ही रही है। इन दोनों पार्टियों के अंदर भी खींचतान चल रही है। झारखंड सरकार के अंदर चल रही इस खींचतान पर दूर दिल्ली में बैठे भाजपा आलाकमान की पैनी नजर है।
झारखंड की सियासी हलचल ही नहीं, भ्रष्टाचार मामले में फंसी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गर्दन का भी फायदा भाजपा उठाना चाह रही है। तभी वह मुख्यमंत्री हेमंत पर लगातार कर रही है। जैसा कि पता है, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनन लीज और शेल कम्पनी मामलों में अदालत के फेरे लगा रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर भाजपा उन पर लगाकार हमले कर रही है। बाबूलाल मरांडी पिछले दिनों गिरिडीह दौरे थे,वहा भी उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जमकर हमले किये और उन्हें बर्खास्त करने की मांग भी की। उनका स्पष्ट कहना है कि यह भ्रष्टाचार और अनैतिक आचरण का बड़ा नमूना है।
ये सारी बातें एक साथ मिलकर एक नयी राजनीतिक कहानी बनने की ओर इशारा करती हैं। खैर, अभी सारी बातें भविष्य के गर्त में हैं, क्या होगा, क्या नहीं होगा, इसके लिए थोड़ा इन्तजार करना होगा।