न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
वैसे तो थूक कर चाटना वीभत्स रस है, लेकिन राजनीति में इसे शृंगार रस की गरिमा हासिल है। राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर झारखंड में कांग्रेस की ड्रामेबाजी ने इसे साबित कर के भी दिखा दिया है। दो दिनों तक कांग्रेस ने जिस तरह ड्रामेबाजी की, लग रहा था कि झारखंड की राजनीति में कोई बड़ा भूचाल आने वाला है। लगा कांग्रेस हेमंत सरकार से समर्थन वापस ले ही लेगी। फिर थोड़ी से नरमी आयी तो लगा समर्थन वापस तो नहीं लेगी, उसके मंत्री इस्तीफा देंगे, पार्टी बाहर से समर्थन देती रहेगी, लेकिन सरकार में शामिल नहीं होगी। लेकिन शाम होते-होते कांग्रेस कुनबा ‘हेमंत सोरेन के चरणों में’। अपने झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे के साथ वरिष्ठ कांग्रेसी जन सीएम हेमंत सोरेन के साथ मिल-बैठै और सारे गिले-शिकवे खत्म। बिलकुल बच्चों की तरह। मां-बाप की डांट से नाराज होकर जमीन पर लोट जाने वाला बच्चा फिर ‘टॉफी’ पर पिघल जाता है, ठीक वैसे ही।
पिछले कुछ दिनों से गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच जो चल रहा था, अगर उसका निष्कर्ष निकालने बैठेंगे तो उलझ कर रह जायेंगे। समझ नहीं आयेगा कि आखिर हो क्या रहा था और हुआ क्या। सारा कुछ राज्यसभा की एक सीट को लेकर हो रहा था। झामुमो चाहती थी कि उसका पार्टी उम्मीदवार राज्यसभा जाये जो कि उसका वाजिब हक था, क्योंकि उसके पास अपने उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने का संख्या बल है। जिद पर तो कांग्रेस थी कि उसी का ही उम्मीदवार राज्यसभा जाना चाहिए। आखिर क्यों जाना चाहिए? सिर्फ इसलिए की पूरे देश में आपका जनाधार गिरता जा रहा है, सदन में आपकी संसद सदस्य संख्या घटती जा रही है, इसलिए आपका सहयोगी आपको सहयोग देकर राज्यसभा में पहुंचा दे? माम कीजिये, राजनीति में यहां कोई भी दानी नहीं है, आप भी नहीं। आज राजनीति पूरी तरह से स्वार्थ पर टिकी हुई है। अगर आप स्वार्थी हो सकते हैं तो आपके सहयोगी ने स्वार्थी होकर कोई गुनाह नहीं किया है।
कहीं यह सोची समझी ड्रामेबाजी तो नहीं?
कुल मिलाकर यही लगता है, दो दिनों में झारखंड की राजनीति में जो कुछ भी दिखा वह एक सोची-समझी ड्रामेबाजी थी। बात बहुत आगे बढ़ जाने के कारण कांग्रेस की इज्जत और साख पर भी बन आयी थी। सम्भव है, डैमेज कंट्रोल के लिए ड्रामेबाजी की स्क्रिप्ट तैयार की गयी हो। कांग्रेस अपनी जिद पर अड़ी हुई थी, उसे ‘टॉफी’ (राज्यसभा सीट) चाहिए, लेकिन झामुमो के भी अड़ जाने के बाद कांग्रेस विवश हो गयी। उसे अपनी इज्जत भी बचानी थी और सत्ता की मलाई भी चाटनी थी। वह इतनी आसानी से सत्ता सुख का त्याग नहीं कर सकती थी। इसलिए सम्भव है ड्रामेबाजी की स्क्रिप्ट तैयार की गयी कि पहले नाराज हो जाना है, फिर मान जाना है। हो सकता है उसकी इस स्प्रिक्ट में झामुमो भी शामिल हो।
यह भी पढ़ें: Rajya Sabha Election कांग्रेस के लिए बन गया सिरदर्द, कई राज्यों ने उड़ा दी गांधी परिवार की नींद