Jaya Prada Case: अभिनेत्री व उत्तर प्रदेश के रामपुर की पूर्व सांसद जया प्रदा (Jaya Prada) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने पुलिस अधीक्षक को गिरफ्तार कर 27 फरवरी को अदालत में पेश करने का आदेश दिया है. पुलिस अधीक्षक को विशेष टीम गठित कर पूर्व सांसद को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया गया है. इस सम्बंध में वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने मीडिया को जानकारी दी है कि, पूर्व सांसद के खिलाफ सातवीं बार गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी वह सोमवार को सुनवाई के लिए कोर्ट नहीं पहुंचीं. बता दें कि, पूर्व सांसद जया प्रदा आचार संहिता उल्लंघन से जुड़े दो मामलों में फरार चल रही हैं.
बता दें कि अभिनेत्री से नेता बनीं जया प्रदा पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के मामले में दो अलग-अलग केस पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है. उन्होंने रामपुर के स्वार थाने एक गांव नूरपुर में उस दौरान सड़क का उद्घाटन किया था, जब आचार संहिता लागू थी. इसका वीडियो वायरल होने के बाद फ्लाइंग स्क्वायड टीम के जज 34 स्वार डॉ. नीरज कुमार पराशरी ने उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन का केस दर्ज कराया था.
तो वहीं एक दूसरे मामले में अभिनेत्री के खिलाफ साल 2019 में ही कैमूर थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी. थाने के VDO कुलदीप भटनागर ने चुनाव आचार संहिता का मुकदमा उनके खिलाफ दर्ज कराया था. गौरतलब है कि 2019 में ही पूर्व सांसद पिपलिया मिश्र ने जनसभा में लोगों को सम्बोधित करते हुए उनके खिलाफ आपत्तिजनकर टिप्पणी की थी. तो वहीं इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हड़कम्प मच गया था. इसके बाद दोनों मामलों में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था. केस का ट्रायल रामपुर की स्पेशल MP-MLA कोर्ट में चल रहा है.
बता दें कि इस मामले में सुनवाई के दौरान पूर्व सांसद जया प्रदा को अदालत ने कई बार पेश होने के लिए नोटिस जारी किया जा चुका है, लेकिन इस दौरान वह कोर्ट में पेश नहीं हुईं. इस पर अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया था. हालांकि पहले कई बार जया प्रदा के अधिवक्ता ने इस वारंट के खिलाफ वारंट रिकॉल करने की प्रार्थना की थी, लेकिन कोर्ट ने ये भी याचिका खारिज कर दी थी और अपने पूर्व निर्णय को बरकरार रखा था. इस तरह से जया प्रदा के पास अदालत में पेश होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था लेकिन वह एक बार फिर से सुनवाई के लिए पेश नहीं हुईं. इसी के बाद कोर्ट ने ये आदेश किया है.
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