भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनायी जाने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर अक्सर तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त को लेकर संशय बना रहता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। तभी से हर साल इस तिथि पर जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 26 अगस्त श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनायी जायेगी।
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त, सोमवार की तड़के 03:39 से शुरू होगी। अष्टमी तिथि रात 02:20 तक रहेगी। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी की मध्य रात्रि (आधुनिक समयानुसार 12 बजे) को हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी की स्थिति 26 अगस्त को बन रही है। बता दें कि धर्मग्रंथों के अनुसार, इस बार भगवान श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की रात 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। यानी भक्तों को पूजा के लिए पूरा 45 मिनिट का समय मिलेगा। रोहिणी नक्षत्र अगले दिन यानी 27 अगस्त, मंगलवार की दोपहर 03:38 तक रहेगा। इसके बाद ही व्रत का पारणा करना शुभ रहेगा।
जन्माष्टमी की पूजा के दिन क्या-क्या करें?
- – सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके हाथ में जल-चावल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- – दिन भर निराहार या फलाहार करें।
- – किसी पर क्रोध न करें, अपशब्द न बोलें।
- – रात्रि में पूजा के लिए पूजन सामग्री पहले इकट्ठा कर लें।
- – घर में किसी साफ स्थान पर चौकी स्थापित करें।
- – पालने को अच्छी तरह से सजाएं और बाल गोपाल का चित्र या प्रतिमा इस पालने में स्थापित करें।
- – शुभ मुहूर्त में पूजा की शुरुआत कुमकुम से भगवान का तिलक लगाकर करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- – अबीर, गुलाल, इत्र, नारियल, फूल, फल आदि अर्पित करें।
- – पूजा के दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का जाप करें। भगवान को अपनी इच्छा अनसुार भोग लगाएं।
- – भोग में तुलसी के पत्ते जरूर रखें। इसके बाद परिवार सहित भगवान की विधि-विधान से आरती करें।
- – पालने को झूला दें जैसे छोटे बच्चे को झूलाते हैं। रात में उसी स्थान पर बैठकर भजन-कीर्तन करें।
- न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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