छठा झारखंड का विधानसभा सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। झारखंड विधानसभा का सत्र 9 दिसंबर से शुरू होकर 12 दिसंबर तक चलेगा। इस विधानसभा का स्वरूप कई मायनों में बदला हुआ नजर आयेगा। इस बार कई चेहरे नए तो दिखेंगे ही, नियम-कायदे में भी परिवर्तन हुआ है। जिसकी झलक पहली बार विधानसभा में दिखेगी। पहली बार सदन में 81 विधायक ही दिखेंगे। नये संशोधन के अनुसार इस बार एंग्लो-इंडियन का मनोनीत सदस्य नजर नहीं आयेगा।
डुमरी से विधायक बने जयराम महतो (Jairam Mahto) ने आज विधानसभा में पहली बार शपथ ग्रहण किया। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण दिन था, क्योंकि एक साल पहले इसी विधानसभा के बाहर लाठी चार्ज और रबर गोलियों का सामना करने वाले जयराम महतो (Jairam Mahto) आज उसी सदन में विधायक के रूप में शपथ ले रहे थे। नंगे पांव विधानसभा पहुंचे जयराम महतो ने इस दिन को आस्था से जोड़ा। उनका कहना था, “जब हम किसी आस्था के केंद्र में प्रवेश करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से नंगे पांव ही जाते हैं। सदन भी हमारे लिए एक आस्था का केंद्र है, खासकर उन लाचार लोगों के लिए जिनका प्रतिनिधित्व मैं करता हूं।” उन्होंने बताया कि पहले वे सड़क पर बैठकर अपनी बात रखते थे, लेकिन अब सदन में उनकी आवाज अनसुनी नहीं होगी। यह बदलाव उनके लिए बहुत अहम था, क्योंकि इस मंच पर उनकी बातों पर गंभीरता से विचार होगा।
जयराम महतो का यह विश्वास था कि युवा नेताओं को पारंपरिक राजनीति से हटकर कुछ नया करना चाहिए। वे बोले, “अगर हम युवा राजनीति में आकर वही पुराने रास्ते अपनाएंगे, तो फिर हमारे राजनीति में आने का कोई मतलब नहीं है। हमें कुछ नया करने की कोशिश करनी चाहिए।” विधानसभा में अपनी एंट्री पर उन्होंने अपने संघर्षों का जिक्र किया, “एक साल पहले यहां लाठियों से पीटा गया था और अब उसी विधानसभा में हम शपथ ले रहे हैं। यह लोकतंत्र की जीत है।”
जयराम महतो की यात्रा, संघर्ष से लेकर सत्ता तक, उनके विश्वास और दृढ़ संकल्प की प्रतीक बन चुकी है, जो लोकतंत्र और बदलाव की सशक्त तस्वीर पेश करती है।
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