सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की कि किसी पत्रकार पर सिर्फ इसलिए मुकदमा नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसने किसी सरकार की आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय को अंतरिम राहत मिल गयी है। जस्टिस हृषिकेश राय की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह करते हुए कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत पत्रकारों के अधिकारों को सुरक्षा मिली हुई है, अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ अगले आदेश तक किसी भी निरोधात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। 5 नवंबर को इस केस की अगली सुनवाई होगी।
क्या है मामला?
पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के आलेख ‘यादव राज बनाम ठाकुर राज’ के खिलाफ एक एफआईआर सुप्रीम कोर्ट में दर्ज है। अभिषेक का यह लेख जब ‘एक्स’ पर पोस्ट किया गया तब विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने अपने ‘एक्स’ हैंडल से शेयर किया, जिसके बाद यह लेख चर्चा का विषय बन गया। इसके बाद उन पर यह केस किया गया था। वहीं, उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि उन्होंने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। याचिका में संबंधित एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई। इसी केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान होता है। किसी पत्रकार के लेख में सरकार की आलोचना समझकर उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं करना चाहिए।
अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ एक स्वतंत्र पत्रकार पंकज कुमार ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। जिसमें अभिषेक उपाध्याय के अलावा पत्रकार ममता त्रिपाठी को भी आरोपित किया गया है। दोनों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 352(2), 197(1)(सी), 302, 356(2) और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत एफआईआर दर्ज की गयी है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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