World Press Freedom Index यानी प्रेस की आजादी के मामले में भारत 150वें पायदान पर पहुंच गया है. 180 देशों की इस लिस्ट में भारत पिछले साल 142वीं रैंक पर था. इतना ही नहीं भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन प्रेस की आजादी के मामले में और पीछे हैं. नार्वे इस लिस्ट में पहले नंबर पर है.
वैश्विक मीडिया निगरानीकर्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेस की आजादी के मामले में नेपाल में भारत, चीन और पाकिस्तान से काफी अच्छी स्थिति है. नेपाल इस लिस्ट में 30 अंक चढ़कर 76 वे नंबर पर पहुंच गया है. पिछले साल नेपाल 106वें पायदान पर था.
PAK भारत से पीछे
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का नंबर भारत से पीछे है. प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें, म्यांमार 176वें और चीन 175वें नंबर पर है.
‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (आरएसएफ) के मुताबिक, इस साल नार्वे पहले नंबर पर है. जबकि डेनमार्क दूसरे, स्वीडन तीसरे, एस्टोनिया चौथे और फिनलैंड 5वें नंबर पर है. जबकि इस लिस्ट में आखिरी नंबर उत्तरी कोरिया का है. उत्तर कोरिया 180वें नंबर पर है.
प्रेस की आजादी के मामले में रूस 155वीं रैंक पर है. वहीं, पिछले साल रूस 150वें नंबर पर था. चीन इस बार दो पायदान ऊपर चढ़ा है. चीन पिछले साल 177वे नंबर पर था.
आखिर क्यों इंडेक्स में पिछड़ा भारत
अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा, ”विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और नौ अन्य मानवाधिकार संगठन भारतीय अधिकारियों से पत्रकारों और ऑनलाइन आलोचकों को उनके काम के लिए निशाना बनाना बंद करने का आग्रह करते हैं।” बयान में आगे कहा गया कि ” विशेष रूप से, आतंकवाद और देशद्रोह कानूनों के तहत उन पर मुकदमा चलाना बंद कर देना चाहिए।”
“स्वतंत्र मीडिया का गला घोंटना बंद करना चाहिए”
रिपोर्टर्स सेन्स फ्रंटियर्स (आरएसएफ) ने कहा कि ”भारतीय अधिकारियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करना चाहिए और आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए, राजनीति से प्रेरित आरोपों में हिरासत में लिए गए किसी भी पत्रकार को रिहा कर देना चाहिए और उन्हें निशाना बनाना तथा स्वतंत्र मीडिया का गला घोंटना बंद करना चाहिए।”
‘आलोचना करने वाले पत्रकार धमकाए जाते हैं’
इसने कहा, ”अधिकारियों द्वारा पत्रकारों को निशाना बनाने के साथ-साथ असहमति पर व्यापक कार्रवाई ने हिंदू राष्ट्रवादियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरह से भारत सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को धमकाने, परेशान करने और दुर्व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”
प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों में आई है तेजी
आरएसएफ 2022 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत के तीन पत्रकार संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ” नौकरी की असुरक्षा बढ़ी हैं, वहीं प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। भारत ने इस संबंध में रैंकिंग में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।
मामूली कारणों से कठोर कानूनों के तहत कैद किए गए पत्रकार
इंडियन वुमंस प्रेस क्लब, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और प्रेस एसोसिएशन ने कहा, ”पत्रकारों को मामूली कारणों से कठोर कानूनों के तहत कैद किया गया है और कुछ मौकों पर सोशल मीडिया मंच पर मौजूद कानून के स्वयंभू संरक्षकों से उन्हें जान को खतरे का सामना करना पड़ा है।”
‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करें अधिकारी‘
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करना चाहिए. साथ ही आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए, राजनीति से प्रेरित आरोपों में हिरासत में लिए गए पत्रकारों को रिहा करना चाहिए. उन्हें निशाना बनाना और स्वतंत्र मीडिया का गला घोंटना बंद करना चाहिए.
ये भी पढ़ें : बंद होने जा रही है Central Bank of India की 600 शाखाएं, संपत्ति की भी होगी बिक्री