India Russia रूस भारत का पुराना दोस्त है, लेकिन यह दोस्ती अब खतरे में पड़ने वाली है। एक कारण तो रूस खुद है, दूसरा भारत के दुश्मन देश चीन और पाकिस्तान हैं, जिनसे रूस की नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, भारत ने तटस्थ रह कर रूस का समर्थन ही किया है। भारत की रणनीति की रूस ने हमेशा प्रशंसा की, लेकिन जैसे-जैसे युद्ध लम्बा खिंचता जा रहा है और रूस अंतरराष्ट्रीय जमात में अलग-थलग पड़ता जा रहा है। ऐसा होना भी भारत और रूस के रिश्तों पर असर डालने लगा है। वैसे अब भी रूस को भारत के सहयोग की जरूरत सबसे ज्यादा है, लेकिन यह मदद भी रूस अपनी शर्तों पर चाहता है।
दशकों से रूस और भारत सम्बंध अच्छे रहे हैं, आज भी हैं। लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक राजनीतिक और कूटनीतिक माहौल बदलने लगे हैं। इसी बदलते माहौल के कारण रूस पर ब्लैकलिस्ट होने का खतरा मंडराने लगा है। इसलिए रूस चाहता है कि दूसरे देशों के साथ भारत उसका साथ दें। ब्लैक लिस्ट होने के भय से भयभीत रूस विशेष तौर पर भारत से मदद चाहता है, लेकिन आंखें दिखा कर। यही कारण है कि भारत-रूस का रिश्ता खतरे में आ रहा है।
क्यों खतरे में है भारत-रूस का रिश्ता?
यूक्रेन युद्ध के कारण रूस फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ब्लैकलिस्ट में आ सकता है। उम्मीद है आगामी जून महीने में इस पर फैसला हो जाये। इस लिस्ट में आने से बचने के लिए उसने भारत से मदद मांगी है। मदद मांगते हुए भी रूस ने भारत को धमकी दी है। रूस का कहना है कि भारत ने अगर उसकी मदद नहीं की या मदद के बाद भी रूस ब्लैकलिस्ट होने से नहीं बच सका तो इसके गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। रूस भारत को ऊर्जा और हथियारों की डील कैंसिल कर सकता है।
जून में एफएटीएफ की मीटिंग होनी है जिसमें रूस पर प्रतिबंध पर फैसला हो सकता है। भारत भी इसका सदस्य है और यूक्रेन जंग को बाद एफएटीएफ ने रूस की सदस्यता खत्म कर दी है। यही कारण है कि रूस उन देशों से मदद मांग रहा है जो उसे ब्लैकलिस्ट होने से बचा सकते हैं। रूस अगर ब्लैकलिस्ट होता है तो वह उत्तर कोरिया, ईरान और म्यांमार की श्रेणी में आ जाएगा। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि एफएटीएफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों की फाइनेंसिंग पर बैन लगाने वाला संगठन है।
रूस का चीन की ओर हो रहा झुकाव?
इन दिनों रूस की नजदीकियां पाकिस्तान और उसको आंख बंद कर समर्थन करने वाले चीन से बढ़ रही हैं। अभी हाल में रूस के प्रधानमंत्री के बीजिंग दौरे पर चीन के साथ कई समझौते भी हुए हैं। चूंकि यूक्रेन के कारण रूस तेजी से पश्चिमी प्रतिबंधों का दबाव महसूस कर रहा है, इसलिए उसका झुकाव चीन की ओर हो रहा है। रूस चीन को कहीं अधिक, तेल और गैस की चीनी मांग का समर्थन किया है।
भारत में कौन-कौन-सी रूसी परियोजनाएं चल रहीं जिन पर हो सकता है असर
- भारत को रूसी हथियारों और सैन्य उपकरणों के निर्यात।
- तेल कंपनी रोसनेफ्ट और नायरा एनर्जी लिमिटेड के बीच सहयोग।
- एयरो इंडिया 2023 प्रदर्शनी के लिए संयुक्त विमानन परियोजनाओं का रूसी प्रस्ताव।
- भारत के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में टेक्नोलॉजी और ऊर्जा सहयोग।
- उत्तर-दक्षिण व्यापारिक गलियारे के विकास से जुड़ी कार्गो परिवहन सेवाएं।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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