New Parliament Building Inauguration: देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हर कदम का विरोध करने पर उतारू है विपक्ष। इसका ताजा सियासी उदाहरण 28 मई को नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भी देखने को मिल सकता है। कांग्रेस के साथ ही देश के कई क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों ने 28 मई को होने जा रहे नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह से अपने आप को अलग रखने का ऐलान भी कर दिया है। एक चर्चा यह भी उठ गयी है कि 28 मई की तारीख मोदी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के गठन की वर्षगांठ भी है।
नये संसद भवन का राष्ट्रपति के हाथों उद्घाटन नहीं किये जाने का विरोध कांग्रेस की ओर से पहले शुरू किया गया था। अब इसमें देश की कई विपक्षी दल भी शामिल हो गये हैं। हालांकि कांग्रेस ने समारोह में शामिल नहीं होने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन जदयू, राजद, एनसीपी, टीएमसी ने फैसला कर लिया है कि संसद भवन के उद्घाटन में वे शामिल नहीं होंगे। वाम दलों ने भी समारोह से दूर रहने का निर्णय लिया है।
नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह से दूरी बनाने की असल वजह?
यह सही है कि 28 मई को प्रधानमंत्री द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन की घोषणा कर दी गयी है। विपक्ष के विरोध के बावजूद इस कार्यक्रम में किसी बदलाव के भी संकेत अब तक नहीं मिले हैं। लेकिन समझा जा रहा है कि 28 मई को संसद भवन का उद्घाटन किया जाना भी विपक्षी दलों के विरोध का एक बड़ा कारण हो सकता है। 28 मई को दरअसल, एनडीए मोदी सरकार के 9 साल पूरे हो रहे हैं। तो जाहिर है भाजपा के नेतृत्व में एनडीए इसका जश्न मनायेगा। फिर भला विपक्ष को यह कैसे गवारा होगा कि 28 मई को केन्द्र सरकार के ‘जश्न’ में वह शामिल हो जाये। भले ही इसका ऐसा करने से एक ऐतिहासिक अवसर उसके हाथों से निकल जाये। हालांकि विपक्ष के यह मांग भी गलत नहीं है कि संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों हो।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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