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बिहार में I.N.D.I.A. गठबंधन की सीट शेयरिंग टेढ़ी खीर, सब सीटें जदयू-राजद रख लेंगे तो कांग्रेस को मिलेगा क्या?

If JDU-RJD keep all the seats in Bihar, will Congress get it?

बुधवार को दिल्ली में I.N.D.I.A. की समन्वय समिति की बैठक होने वाली है। इस मीटिंग में उम्मीद थी कि गठबंधन के दलों में लोकसभा 2024 की सीट शेयरिंग पर भी चर्चा होगी, लेकिन खबर आ रही है कि इस बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा नहीं होगी। गठबंधन के दल इस पर कुछ और समय लेना चाहते हैं। लेकिन माना जा रहा है कि सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझाना उतना आसान नहीं है, उसमें अभी कई पेंच फंसे हुए हैं। सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही सीट शेयरिंग का पेंच नहीं फंसा हुआ है। गठबंधन में शामिल दलों के राज्यों में भी उसे सुलझाना उतना आसान नहीं है। उम्मीद की जा रही है सबसे ज्यादा टेढ़ी खीर बिहार की सीट शेयरिंग होंगी, यहां सीटों की समस्या सुलझाने में गठबंधन के दलों के पसीने छूट जायेंगे।

क्या-क्या कठिनाइयां आयेंगी बिहार में सीट शेयरिंग में?

बिहार में जहां तक सीट शेयरिंग की बात है तो इसमें सबसे बड़ी अड़चन दोनों बड़ी पार्टियां- जदयू और राजद ही हैं। जदयू और राजद दोनों ही एक दूसरे से ज्यादा सीटें अपने पक्ष में रखना चाहते हैं। जदयू का तर्क है कि वह 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में सबसे ज्यादा सीट जीता था। बता दें, जदयू ने बिहार में 2019 में 16 सीटें जीती थीं। लेकिन यहां यह याद रखना होगा कि जदयू को ये सीटें मोदी लहर में बीजेपी के समर्थन के कारण मिली थीं। फिर भी जदयू बिहार में 16 सीटों पर अपनी दावेदारी कर रहा है। बता दें, इन 16 सीटों में जदयू ने राजद को 14 लोकसभा सीटों पर मात दी थी। जिनमें राजद सुप्रीमो लालू यादव की पसंदीदा सीट सीवान भी है। अगर जदयू सीवान सीट अपने पास रखना चाहेगा तो जाहिर है राजद के साथ उसका मनमुटाव भी होगा।

वहीं, भले ही राजद को लोकसभा चुनाव में 2019 एक भी सीट नहीं मिली थी, फिर भी वह जदयू के बराबर की दावेदारी चाहेगा। ऐसा इसलिए कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू के साथ रहने के बावजूद राजद ने सर्वाधिक सीटें जीती हैं। इसलिए वह जदयू के बराबर या उससे ज्यादा सीटें अपने पास रखना चाहेगा।

लेकिन सवाल उठता है कि ‘चाचा-भतीजा’ सारी सीटें आपस में बांट लेंगे तो कांग्रेस के पास क्या बचेगा। कांग्रेस जो कि पूरे देश में न सिर्फ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, बल्कि हर हाल में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में ज्यादा सीटें जीतना भी चाह रही है। वह चाहे बिहार हो या झारखंड, कमजोर पड़ कर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को वह मंजूर नहीं करेगी। जैसा कि बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस को हर हाल में बिहार में 10 सीटें चाहिए। हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ किशनगंज लोकसभा सीट ही जीत सकी थी। इतना ही नहीं, कांग्रेस बिहार में वाल्मिकीनगर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, समस्तीपुर, मुंगेर, पटनासाहेब और सासाराम पर अपना दावेदारी भी ठोंक चुकी है। सीट शेयरिंग में वाम दल की भी हिस्सेदारी बनती है। अब देखना यह कि बिहार में गठबंधन के दोनों बड़े दल कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के साथ किस प्रकार न्याय करते हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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