समाचार प्लस/ झारखंड -बिहार
भारत में हर 4 मिनट में सड़क हादसे (Road Accident) में एक मौत हो जाती है. यानी, हर दिन 426 से ज्यादा लोगों की जान सड़क हादसे (Road Accident) में चली जाती है. 2021 में देशभर में 4.03लाख से ज्यादा सड़क हादसे हुए थे. इनमें 1.55 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
सड़क हादसे में घायल व्यक्ति रास्ते में ही पड़ा तड़पता रहता है, लेकिन कानूनी पचड़ों और सुविधाओं के अभाव में कोई भी व्यक्ति घायल की मदद के लिए आगे नहीं आता है. सड़क हादसे के दौरान आम आदमी पुलिस प्रशासन और एंबुलेंस का इंतजार ही करता रहता है और इलाज के अभाव में घायल दम तोड़ देता है.ऐसे में घायल व्यक्ति की जान कैसे बचाई जा सकती है, रिम्स रांची न्यूरो विभाग के डॉ विकास कुमार (Dr Vikas Kumar) दे रहे हैं एक्सीडेंट होने पर प्राथमिक उपचार (first aid)के तरीकों की जानकारी.
एक्सीडेंट होने पर ऐसे करें प्राथमिक उपचार
चेक, कॉल, केयर पद्धति को अपनाएं तथा घायल को कुछ भी ना खिलाए ना पिलाएं. मरीज अच्छे से सांस ले रहा है या नहीं, सुरक्षित है या नहीं, यह चेक करें. एंबुलेंस या मदद के लिए कॉल करें. जब तक मदद ना आए तब तक मरीज का केयर करें.
सबसे पहले देखें ब्लीडिंग
सड़क हादसों के बाद ब्लीडिंग होने की सबसे ज्यादा केस देखने को मिलते हैं. यदि मरीज का खून तो नहीं निकल रहा है. इसके लिए आपको उस जगह पर साफ कपड़े को लपेट देना चाहिए. ताकि ब्लीडिंग बंद हो.
यदि मरीज की कोई हड्डी टूटी हो तो ऐसे करें उपचार
मरीज के अंगों को देखें, कहीं कोई हड्डी तो नहीं टूटी. यदि मरीज का पैर, हाथ या कोई दूसरी हड्डी टूटी हो, तो आसपास से लकड़ी, कार्डबोर्ड ,अखबार का बंडल को रोल करके, उसे टूटे अंग के साथ लगा दे ताकि वह हिले नहीं.
यदि पल्स न मिले, तो क्या करें
यदि पल्स न मिले तो सीपीआर दें फिर कंप्रेशन करें. मरीज को तीस बार दबाव 18 से 30 सेकेंड तक ही दें.खुद सांस भरकर मरीज को सांस दें.मरीज की पल्स चेक करें और फिर इसी क्रम को दोहराएं.
मरीज गर्दन तो नहीं हिला रहा है बरतें ये सावधानी
एक्सीडेंट होने के बाद संभव है कि कुछ केस में मरीज अपनी गर्दन ही न हिला पाए. इसके लिए आपको खास सावधानी बरतनी होगी. आप मरीज को सीधा लेटा दें.कोशिश करें. ध्यान रहे मरीज की गर्दन न हिले.
सौजन्य: डॉ विकास कुमार, न्यूरो विभाग, रिम्स रांची.
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