न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
1972 बैच के चर्चित आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी किशोर कुणाल की एक पुस्तक आयी थी ‘दमन तक्षकों का’। यह पुस्तक केवल उनकी जीवनी नहीं है, बल्कि देश की भ्रष्ट-व्यवस्था को उजागर करती है जो उन्होंने गुजरात, झारखंड, बिहार व भारत सरकार में विभिन्न पदों पर रहते हुए झेले और उससे लड़े। उनकी पुस्तक का ‘तक्षक’ अपराध और भ्रष्टाचार का प्रतीक है। किशोर कुणाल के अनुसार समाज में तीन प्रकार के तक्षक पाये जाते हैं। एक खूंखार अपराधी, दो घूसखोर नेता व तीन बिके हुए अधिकारी। कुणाल किशोर ने बताया कि आठवें व नौंवे दशक में बिहार (झारखंड भी सम्मिलत) समेत कुछ अन्य राज्यों के कुछ सत्ताधारी राजनेताओं, अफसरों ने कैसे कानून का शासन ध्वस्त करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इनकी करतूतों से यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि ये अपने ही देश के हैं या फिर कोई बाहरी हमलावर।
शायद किशोर कुणाल को एक बार फिर अपनी कलम उठाने की जरूरत है। आज झारखंड में जो भी कुछ चल रहा है, उससे राज्य के ही नहीं देश के लोग हैरान हैं। झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ है किसी मुख्यमंत्री को अदालत में अपने भ्रष्टाचार की सफाई देने के लिए खड़ा होने की नौबत आ गयी है। 20 मई, 2022 वह दिन है जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अदालत में यह सफाई देनी है कि उन पर जो बड़े-बड़े आरोप लगे हैं और उनके खिलाफ ईडी की जो रिपोर्ट अदालत में पेश की गयी है, उसमें वह शामिल कैसे नहीं हैं। उन्हें खुद को पाक-साफ साबित करना कितना आसान और कितना कठिन है यह देखने वाली बात होगी। वह पाक-साफ साबित हो जाते हैं तो विपक्ष (भाजपा) के लिए कितना खतरनाक होगा और अगर अगर वह दोषी साबित होते हैं तो फिर राज्य की दशा और दिशा क्या होगी, यह भी देखने का विषय होगा।
हेमंत सोरेन पर लगे हैं कौन-कौन से आरोप?
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खनन लीज पट्टे अपने और अपने करीबियों के नाम आवंटित करने का बड़ा आरोप है।
- मुख्यमंत्री पर शेल कंपनियां बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग और कालेधन को सफेद करने का बड़ा आरोप है।
- खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले की सीबीआई जांच के लिए दाखिल याचिका भी हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
ये सभी मामले चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं।
झारखंड सरकार को देने हैं इन आरोपों के जवाब
- 17 मई को शेल कंपनियों के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से वर्ष 2010 में खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले में दर्ज सभी 16 प्राथमिकी का पूरा ब्योरा अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है।
- अदालत ने सीएम को खनन लीज आवंटन मामले में रांची के उपायुक्त को स्पष्टीकरण देना है। अदालत ने पूछा है कि उन्हें खनन विभाग की व्यक्तिगत जानकारी कैसे है।
- याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है जिसमें सीएम हेमंत सोरेन को खनन लीज आवंटन और शेल कंपनियों के खिलाफ सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की गयी है। इसके साथ ही उन्होंने हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की भी मांग की है।
- खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले में एक और याचिका अरुण कुमार दुबे के द्वारा 2019 में दायर की गयी है, इसमें भी सीबीआई जांच की मांग याचिकाकर्ता ने की है। याचिका में खूंटी में मनरेगा से जुड़ी योजनाओं में 06 करोड़ का घोटाले का जिक्र है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाया कि एसीबी ने इस मामले में सिर्फ इंजीनियरों पर प्राथमिकी दर्ज की है। जबकि उपायुक्त इस योजना के समन्वयक होते हैं। उपायुक्त पर भी गड़बड़ी के आरोप हैं।
- राज्य सरकार को हाई कोर्ट की उस टिप्पणी का भी जवाब देना है कि ‘विभाग के मंत्री रहते हुए खदान लीज लेना, क्या पद का दुरुपयोग नहीं है?’
हाई कोर्ट की सुनवाई के खिलाफ झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट में
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े दो मामलों माइंनिंग लीज और आय से अधिक संपंत्ति का मामलों में तीन प्रख्यात अधिवक्ता वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल, महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश बहस कर रहे हैं। शेल कंपनी मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाईकोर्ट को जानकारी दी कि इस याचिका के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 24 मई को सुनवाई करने वाला है।
सीएम हेमंत सोरेन के साथ कई ‘किरदार’आ रहे सामने
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ उनके भाई बसंत सोरेन पर पैसे को ठिकाने लगाने के आरोप लगे हैं। राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल के साथ कई नाम सामने आये हैं कि ये सब मिलकर 24 कंपनियों के माध्यम से कालेधन को सफेद करने का कारण करते थे।
अब आगे क्या?
इस राजनीतिक उठापटक के बीच हर कोई यही जानना चाहता है कि आखिर हेमंत सोरेन सरकार का भविष्य क्या है। हेमंत सोरेन के समक्ष बचने के विकल्प क्या हैं। वैसे झामुमो हेमंत सरकार के भविष्य को लेकर खुद को आश्वस्त बता रही है, लेकिन भविष्य के राजनीतिक विकल्पों पर भी वह विचार करने लग गयी है। वहीं भाजपा का यह कहना है कि हेमंत सोरेन के समक्ष अब इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है। अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं तो राज्यपाल उन्हें बरखास्त कर सकते हैं।
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