झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी बार-बार बुला रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के नोटिस भेज रखा है। और अब देश के एक और राज्य के मुख्यमंत्री भी जांच एजेंसियों की जद में आ गये हैं। इस बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर ईडी ने बड़े घपले का आरोप लगाया है। झारखंड, दिल्ली, राजस्थान होते हुए मामला जांच की आज अब छत्तीसगढ़ जा पहुंची है। झारखंड, दिल्ली के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सीधे तो नहीं, लेकिन उनका परिवार जांच एजेंसियों के घेरे में जरूर आया है। इसी कड़ी का अगला नाम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का है।
चुनावी सीजन चल रहा है, ऐसे में ईडी पूरी तरह से एक्शन मोड में है। छत्तीसढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिन पर पहले से ही जांच एजेंसियों की नजर लगी थी, अब महादेव सट्टेबाजी एप को लेकर एक ‘बड़ा सुबूत’ हाथ लगा है। खबर है कि ऐप के प्रवर्तकों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए दिए हैं। बताया जा रहा है कि महादेव सट्टा ऐप के संचालक विदेशों में भी बैठे हुए हैं और इस ऐप के माध्यम से हजारों करोड़ों रुपए कमाए हैं। इस मामले में ईडी ने पहले चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा 430 करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्ति भी जब्त की थी। अब तक इस मामले में 14 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
क्या विपक्ष तक ही फैला है ‘भ्रष्टाचार का साम्राज्य’?
विपक्ष भाजपा सरकार पर हमेशा आरोप लगाता रहता है कि उसके खिलाफ जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। आखिर इस बात में कितनी सच्चाई है? हम भी कुछ वर्षों से कई नेताओं पर ईडी, सीबीआई या दूसरी जांच एजेंसियों की कार्रवाई होते देख रहे हैं। इन जांच एजेंसियों के दायरे में विपक्षी नेता ही दिखायी दे रहे हैं। क्या वाकई ऐसा है कि भ्रष्टाचार की जड़ें विपक्षी नेताओं तक ही हैं? क्या उन राज्यों में जहां विपक्षी दलों का शासन है, वहीं की सरकारें, नेता, मंत्री या अधिकारी ही भ्रष्ट हैं? जांच एजेंसियों के फेर में राज्यों के नेता तो हैं ही, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, लालू प्रसाद यादव, मायावती, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, के. कविता, हेमंत सोरेन और न जाने कितने नाम हैं, जो जांच एजेंसियों के दरवाजे का चक्कर काट चुके हैं, या काट रहे हैं। इनमें से कौन फंसेगा और कौन बचेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता।
पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस, टीएमसी, आप, पीडीपी, आरजेडी, जेडीयू, डीएमके, बीआरएस, शिवसेना उद्धव, शरद पवार की राकांपा, सपा, बसपा, नेशनल कांफ्रेंस, कई नाम गिनाये जा सकते हैं, जो एनडीए का हिस्सा नहीं हैं और जांच एजेंसियों ने उनके कथित भ्रष्टाचार को अपनी जांच का हिस्सा बना रखा है। इन सभी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर भी सवाल किया है कि उनके खिलाफ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग क्यों किया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल तो यहां तक कह चुके हैं कि हमारे देश के प्रधानमंत्री ने ठान लिया है कि अगर भाजपा को वोट नहीं दोगे तो उस सरकार को किसी भी हाल में काम नहीं करने देंगे।
आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल एक रिपोर्ट आयी थी उसके अनुसार जांच एजेंसियों के घेरे में कांग्रेस के 24 नेता थे। डीएमके, बीजू जनता दल के 6-6, समाजवादी पार्टी, बसपा के 5-5, आप, वाईएसआरसीपी3, आईएनएलडी के 3-3, सीपीएम, पीडीपी के 2-2 और टीआरस, एआईएडीएमके, एमएनएस के एक-एक नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों की जांच जारी थी। अब तो इस लिस्ट में कुछ नये नाम भी जुड़ चुके हैं।
आंकड़ों के ही हिसाब से पिछले 18 सालों में ईडी ने 147 प्रमुख राजनेताओं की जांच की है। एनडीए राज में सीबीआई के घेरे में आये नेताओं में 95% विपक्ष के नेता हैं, वहीं, यूपीए के दौर में 60% नेता विपक्ष के थे। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के 10 वर्षों यानी 2004-2014 के दौरान कम से कम 72 नेता सीबीआई जांच के दायरे में आए हैं और उनमें से 43 यानी 60 प्रतिशत नेता विपक्ष से थे। वहीं पिछले 9 सालों में जिन नेताओं पर जांच बैठाई गयी इनमें 95 प्रतिशत से ज्यादा विपक्षी नेताओं पर ईडी और सीबीआई का शिंकजा कसा।
तो क्या वाकई में ऐसा है, कि एनडीए सरकार विपक्षी दलों उनके नेताओं का टार्गेट बना रही है। इस समय देश के 30 राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों में 12 में भाजपा या भाजपा गठबंधन एनडीए की सरकार है जबकि कांग्रेस समेत विपक्षी दलों 17 राज्यों पर राज्य है। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है। इन 17 विपक्ष शासित राज्यों में बहुत कम राज्य ऐसे होंगे जहां के किसी दल या नेता पर भ्रष्टाचार की जांच चल रही हो।
फिलहाल किन-किन मुख्यमंत्रियों तक पहुंची है जांच की आंच
झारखंड– झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर भी ईडी की सूई घूमी हुई है। खनन अवैध आवंटन मामले में ईडी उनसे एक बार पूछताछ कर चुकी है, अब रांची में हुए जमीन घोटाला मामले में भी ईडी ने सीएम हेमंत को कई बार रांची स्थित अपने कार्यालय बुलाया। फिलहाल ईडी के कार्यालय में वह पेश नहीं हुए हैं। इन दोनों मामलों में झारखंड की कई नामचीन हस्तियां भी ईडी और सीबीआई के फेर में फंसी हुई है कई तो इस समय जेल में अपना समय बिता रहे हैं। इन नामचीन हस्तियों में निलंबित आईएएस पूजा सिंघल, निलंबित आईएएस छवि रंजन, प्रेम प्रकाश, पंकज मिश्रा, विजय राम, साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव, इनके अलावा और भी कई चर्चित चेहरों पर ईडी और सीबीआई कार्रवाई कर रही है।
दिल्ली – दिल्ली के शराब नीति में कथित भ्रष्टाचार समेत कई मामले इन दिनों सुर्खियों में हैं। इन घोटालों में दिल्ली सरकार को दो मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन जेल की हवा खा चुके हैं। अब तो अरविन्द केजरीवाल को भी इसी मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए समन भेज दिया है। इतना ही नहीं, करोड़ों रुपयों से बनाये गये शीश महल के कारण भी वह जांच एजेंसियों के घेरे में हैं। ताजा मामले में आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा सदन में फर्जी हस्ताक्षर मामले में फंस गये हैं। इन दिनों दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की चर्चा है. सिसोदिया की गिरफ्तारी सीबीआई ने शराब नीति में कथित घोटाले की जांच को लेकर की है।
राजस्थान – शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में ED ने राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को ही नहीं, बल्कि उनके दोनों बेटों को समन भेजा है। ED ने उनके बेटे अभिलाष को 7 नवंबर और अविनाश डोटासरा को 8 नवंबर को दिल्ली कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया है। इसी मामले में सीएम अशोक गहलोत का परिवार भी दायरे में आया हुआ है। उनके बेटे वैभव गहलोत को भी ईडी की ‘दावत’ मिल चुकी है। ईडी ने उनसे करीब 8 घंटे की पूछताछ भी की है। इसके अलावा कग्रेस नेता अशोक गहलोत, सचिन पायलट राजस्थान एम्बुलेंस घोटाले में आरोपी हैं।
छत्तीसगढ़ – सीएम भूपेश बघेल लम्बे समय से जांच एजेंसियों की नजर में थे। ईडी उनके करीबियों पर पहले ही छापे मार चुकी है। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार पर लगातार जांच एजेंसियों का दबाव बना हुआ है. दिसम्बर 2022 में भूपेश बघेल की ओएसडी सौम्या चौरसिया को ईडी ने गिरफ़्तार कर लिया था। बतातें चलें कि 20 फरवरी 2022 को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव और चंद्रदेव राय समेत करीब 6 कांग्रेस नेताओं के घर-दफ़्तर पर ईडी ने छापा मारा था. छत्तीसगढ़ में पीसीसी कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव, गिरीश देवांगन, आरपी सिंह, विनोद तिवारी और सन्नी अग्रवाल के निवास एवं कार्यालयों पर ईडी की रेड हो चुकी है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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