Happy Birthday Big B: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शहंशाह अमिताभ बच्चन आज अपना 81वां जन्मदिन मना रहे हैं। अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर, 1942 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। उनके माता-पिता प्रसिद्ध हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन और सामाजिक कार्यकर्ता तेजी बच्चन थे। नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से विज्ञान में डिग्री हासिल की।
स्टारडम तक का रास्ता नही रहा आसान
अमिताभ को शुरुआती करियर में कोलकाता में शॉ वालेस और बाद में बर्ड एंड कंपनी में फ्रेट ब्रोकर के रूप में काम करते हुए देखा गया, साथ ही उन्होंने थिएटर के प्रति अपने जुनून को भी बढ़ाया।
स्टारडम तक पहुंचने का उनका रास्ता चुनौतियों से भरा रहा है, जिसमें ऑल इंडिया रेडियो से रिजेक्शन और वित्तीय संघर्षों के कारण मुंबई के मरीन ड्राइव पर एक बेंच पर रातों में सोना भी शामिल है।
एक नजर बच्चन जी के फिल्मी करियर पर
1969 में मृणाल सेन की फिल्म ‘भुवन सो म’ में एक आवाज कथन भूमिका और ‘सात हिंदुस्तानी’ में पहली अभिनय भूमिका से फिल्मी करियर की शुरुआत हुई है। उनके लंबे और पतले कद के कारण फिल्म उद्योग में उन्हें अस्वीकार भी किया गया। शुरुआती दौर में उन्होंने उत्पल दत्त, अनवर अली (कॉमेडियन महमूद के भाई), मधु, और जलाल आगा जैसे अभिनेताओं के साथ स्क्रीन साझा की। इन कठिनाइयों के बीच, अमिताभ ने अपने सपनों को छोड़कर कलकत्ता लौटने के बारे में सोचा, लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था।
फिल्म ‘जंजीर’ ने बदल दी जिंदगी की दिशा
1973 में, प्रकाश मेहरा और महान जोड़ी सलीम-जावेद की प्रतिष्ठित फिल्म ‘ज़ंजीर’ ने अमिताभ बच्चन के जीवन की दिशा ही बदल दी। ज़ंजीर एक ब्लॉकबस्टर हिट रही और इसने भारत को “एंग्री यंग मैन” से परिचित कराया।
और…कामियाबी ने चूमे कदम
इसके बाद से अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई। उन्होंने बेहद सफल फिल्में दीं, जिनमें ‘शोले’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘नसीब’, ‘अमर अकबर एंथोनी’ और कई अन्य फिल्में शामिल हैं।
KBC ने अमिताभ बच्चन के करियर को पुनर्जीवित किया
टीवी क्विज़ शो, ‘कौन बनेगा करोड़पति’ (KBC) ने अमिताभ के करियर में कई तरह से मदद की। इससे उन्हें बहुत आवश्यक वित्तीय प्रोत्साहन मिला। अमिताभ उस समय कर्ज से जूझ रहे थे और केबीसी की सफलता ने उन्हें अपना कर्ज चुकाने और अपनी वित्तीय स्थिति वापस ठीक करने में मदद की।
केबीसी ने एक अभिनेता के रूप में बच्चन के करियर को पुनर्जीवित करने में भी मदद की। 1990 के दशक के अंत में वह फिल्मों में सफलता पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन केबीसी ने उन्हें एक बार फिर घरेलू नाम बना दिया। उन्हें और भी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने लगे और केबीसी के बाद के वर्षों में उन्होंने कई सफल फिल्मों में अभिनय किया, जैसे ‘मोहब्बतें’ (2000), ‘कभी खुशी कभी गम’… (2001), और ‘ब्लैक’ (2005)।
अमिताभ बच्चन के टॉप 10 डायलॉग्स
- इंसान का इमोशन उसका मोशन के साथ जुड़ा हुआ है- पीकू
- कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है – कि जिंदगी तेरी जुल्फों की नर्म छांव में गुज़रती थी तो शादाब हो भी सकती थी… कभी-कभी
- डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है – डॉन
- पूरा नाम, विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम, दीनानाथ चौहान, मां का नाम, सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उमर छत्तीस साल – अग्निपथ
- क्या दुनिया में दो तरह के कीड़े होते हैं. एक वो जो कचरे से उठता है और दूसरा वो जो पाप की गंदिगी से उठता है -हम
- हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती हैं- दीवार
- आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं- आनंद
- अबे बुड्ढा होगा तेरा बाप- बुड्ढा होगा तेरा बाप
- मैं अंग्रेजी बोल सकता हूं, मैं अंग्रेजी बोल सकता हूं, मैं अंग्रेजी बोल सकता हूं… क्योंकि अंग्रेजी एक बहुत ही मजाकिया भाषा है! -नमक हलाल
- रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह- शहंशाह
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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