सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में सब्सक्राइबर्स के किए जाने वाले योगदान की लिमिट बढ़ाने पर विचार कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस बात का संकेत दिया है। अगर ऐसा होता कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर 1 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।
अभी अगर कर्मचारी की सैलरी ₹15,000 मंथली या उससे कम है, तो कर्मचारी और नियोक्ता दोनों उनकी सैलरी का 12% योगदान करते हैं। नियोक्ता का योगदान दो भागों में बंटा होता है—8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है, जबकि शेष 3.67% भविष्य निधि (EPF) में जमा होता है। उदाहरण के तौर पर, अगर सैलरी ₹15,000 मंथली है, तो कर्मचारी का भविष्य निधि में योगदान ₹1,800 होगा, जबकि नियोक्ता का भविष्य निधि में योगदान ₹550.50 और पेंशन योजना में ₹1,249.50 होगा।
सरकार इस सैलरी लिमिट को ₹21,000 तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। अगर यह प्रस्ताव पारित होता है, तो ₹21,000 की सैलरी पर कर्मचारी का योगदान ₹2,520 और नियोक्ता का योगदान ₹770.70 EPF में और ₹1,749.30 EPS में होगा।
अगर EPFO की लिमिट ₹21,000 तक बढ़ाई जाती है, तो एक 23 साल का कर्मचारी, जो 35 साल तक योगदान करता है, उसकी कुल राशि ₹1 करोड़ तक पहुंच सकती है। मौजूदा ₹15,000 की लिमिट पर यह राशि ₹71.55 लाख होती है, जिसमें कुल योगदान ₹10.71 लाख और ब्याज ₹60.84 लाख होता है। जबकि ₹21,000 की लिमिट पर कुल योगदान ₹15 लाख और ब्याज ₹85 लाख होगा, जिससे एक्स्ट्रा ₹28.45 लाख मिल सकते हैं।
EPFO की निकासी लिमिट को भी बढ़ाकर ₹1 लाख कर दिया गया है, जो पहले ₹50,000 थी। यह लिमिट खासतौर पर तब बढ़ाई गई है जब किसी पारिवारिक इमरजेंसी में पैसे की तत्काल जरूरत हो।
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