न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह सतयुग नहीं कि राजा ने कह दिया और जनता ने मान लिया। यह कलयुग है, और आज ‘भय बिन होहीं न प्रीत’ वाली कहावत ही चरितार्थ हो सकती है। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह मानकर बैठे हैं कि उन्होंने ‘शराबंद’ कह दिया और राज्य में ‘शराबबंदी’ हो गयी। शराबबंदी के लिए शराब बनाने वालों पर नकेल पहले होना जरूरी है। इसके लिए एक मजबूत टास्क फोर्स चाहिए। लाठीधारी पुलिस के बूते में यह बात नहीं है। एक नहीं, कई बार उत्पाद विभाग टीम और पुलिस दल पर शराब कारोबारियों के हमला करने की घटनाएं सामने आती रही हैं। राजद के साथ गठबंधन के बाद तो ये घटनाएं कुछ ज्यादा बढ़ी हैं। अभी कुछ दिनों पहले राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए कहा कि वह शराब कारोबार में लगे तेजस्वी यादव के आदमियों को रोक सकते हैं तो रोक कर दिखायें। तो क्या यह मान लिया जाये कि तेजस्वी यादव के कारण नीतीश कुमार शराब कारोबारियों के खिलाफ कड़ा कदम नहीं उठा पा रहे हैं? तो क्या यह भी मान लिया जाये कि इस कारण भी शराब कारोबारियों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है?
बगहा में शराब कारोबारियों ने पुलिस दल पर किया हमला
ताजा घटना बगहा से है, जहां शराब व्यापार पर अंकुश लगाने पहुंची उत्पाद विभाग की टीम पर शराब कारोबारियों ने हमला बोल दिया। बगहा के रामनगर के धांगड़ टोली में उत्पाद विभाग की टीम स्थानीय पुलिस के साथ छापेमारी के लिए गई थी। छापेमारी के दौरान अचानक महिलाओं ने पुलिस टीम पर हमला बोल दिया और कारोबारियों की ओर से टीम पर पत्थरबाजी भी की गई। जिसमें 2 पुलिसकर्मियों के घायल होने की भी खबर है। वहीं पुलिस का एक वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गया है। घटना के बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल को इलाके में उतारा गया और तत्काल दो महिलाओं के हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की जा रही है। बताया जाता है कि रामनगर शहर के धांगड़टोली में बड़े पैमाने पर शराब का निर्माण और बिक्री की जा रही थी। वही कारोबारियों की पहचान कर कार्रवाई चल रही हैं।
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