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चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से आरम्भ हो रहा है। चैत्र नवरात्र चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है। नवरात्रि का पारण चैत्र की दशमी तिथि को होता । इसकी के साथ वासंतिक नवरात्रि की समाप्ति होगी। चैत्र नवरात्रि में भक्तगण पूरी श्रद्धा के साथ मां की आराधना और व्रत-उपवास करते हैं। नवरात्रि में मां को प्रसन्न करने है तो उनकी पूजा विधि जानना जरूरी है। नवरात्रि में घटस्थापना या कलश स्थापना का बहुत महत्व है। घट स्थापना के बाद नवदुर्गा की पूजा प्रारंभ होती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
आइये जानते हैं कि नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना कैसे करते हैं और इसका मुहूर्त क्या है।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त
- सुबह 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक
- कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक
मां दुर्गा की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
- मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति
- मूर्ति और कलश स्थापना के लिए चौकी
- पीला वस्त्र
- एक आसन
- मां को पहनाने के लिए नई लाल चुनरी
- मिट्टी का एक कलश
- आम की 5 हरी पत्तियां
- मिट्टी के बर्तन
- लाल सिंदूर
- लाल गुड़हल का फूल
- फूलों की माला
- शृंगार सामग्री
- नई साड़ी
- अक्षत
- गंगाजल
- शहद
- कलावा
- चंदन
- रोली
- जटावाला नारियल
- सूखा नारियल
- अगरबत्ती
- दीपक
- बत्ती के लिए रुई
- केसर
- नैवेद्य
- पंचमेवा
- गुग्गल
- लोबान
- जौ
- गाय का घी
- धूप
- अगरबत्ती
- पान का पत्ता
- सुपारी
- लौंग
- इलायची
- कपूर
- हवन कुंड
- आम की सूखी लकड़ियां
- लाल रंग का ध्वज
- दुर्गा सप्तशती
कैसे करें कलश स्थापना विधि
- जहां घर का मंदिर हो अथवा जहां पूजा करनी है, उस स्थान को अच्छी तरह साफ कर लें
- कोशिश करें कलश स्थापना पूर्व या उत्तर दिशा में करें
- पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें
- चौकी अथवा भूमि पर अष्टचक्र बनाकर इसके ऊपर कलश स्थापना करें
- कलश में गंगाजल, यमुना, कावेरी आदि पवित्र नदियों का जल भर दें. उसमें एक सिक्का डालें.
- इस दौरान वरुण देव का मन में ध्यान करें
- अब कलश के मुख पर रक्षा सूत्र या कलावा बांध दें. फिर उसके मुख को मिट्टी के एक कटोरी से ढंक दें
- कटोरी को जौ से भर दें. अब एक सूखे नारियल में कलावा लपेट दें
- फिर उसे कलश के ऊपर रखी जौ वाली कटोरी में स्थापित कर दें.
- कलश को गणपति का स्वरूप मानते हैं. इस लिए सबसे पहले श्रीगणेश का पूजन करें
- कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री का पूजा करें
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