बिजली उपभोक्ताओं और संगठनों को बिजली-दरों में बढ़ोतरी मंजूर नहीं, किया एक सुर में विरोध

विद्युत नियामक आयोग ने बताया बिजली-दरें बढ़ाना क्यों है जरूरी

झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग की सोमवार को आइएमए भवन में जेबीवीएनएल के वित्तीय वर्ष 2025-26 के प्रस्तावित टैरिफ पर जनसुनवाई हुई। इस बैठक में आयोग ने यह बताने का प्रयास किया कि बिजली दरें बढ़ाना क्यों जरूरी है। इस बैठक में विभिन्न संगठनों व बिजली उपभोक्ताओं ने एक स्वर में बिजली टैरिफ बढ़ोतरी का विरोध किया। सबका यही कहना था कि अभी नये टैरिफ के लागू हुए सात महीने भी नहीं हुए हैं, फिर टैरिफ में बढ़ोतरी क्यों की जा रही है। उनका कहना था कि अगस्त  2024 में नया टैरिफ लागू किया गया था। आयोग की तरफ से सदस्य विधि महेंद्र प्रसाद,सदस्य तकनीक अतुल कुमार व सचिव राजेंद्र नायक बैठक में मौजूद थे।

जेबीवीएनएल ने कहा बेहतर सुविधा के लिए टैरिफ बढ़ाना जरूरी

झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) की तरफ से अपना पक्ष रखते हुए जीएम राजस्व आरके अग्रवाल ने कहा कि सात महीने पहले जो टैरिफ प्रस्ताव आया था। उसमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी थी ,पर बिजली की खरीद की दर बढ़ती जा रही है। ऐसे में लोगों को बेहतर बिजली मिले और सुविधा मिले, इसके लिए टैरिफ बढ़ाने की मांग आयोग से की गयी है। उन्होंन भरोसा दिलाया कि दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों में 15 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली दर है। इस तुलना में झारखंड में काफी कम है। पर बेहतर सेवा भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में बिजली की दर बढ़ते हुए 15 रुपये प्रति यूनिट तक हो जायेगी क्योंकि उत्पादन कंपनियां दर बढ़ा रही है तो विवश होकर वितरण कंपनी को भी दर बढ़ानी पड़ेगी।

वहीं आयोग की ओर से कहा गया कि सबकी बातों को सुना गया है। आयोग किसी के साथ नाइंसाफी नहीं हो, इस पर गंभीरता से विचार करते हुए ही टैरिफ पर निर्णय देगा।

उपभोक्ताओं की समस्या निदान में भी तेजी दिखाये निगम : पटोदिया

एफजेसीसीआइ की तरफ से अपनी बातों को रखते हुए एनके पटोदिया ने कहा कि जिस तरह बिजली टैरिफ बनाने में निगम के अधिकारी तेजी दिखाते हैं तो उसी तरह उपभोक्ताओं की समस्याओं के निदान में दिखानी चाहिए। सिक्यूरिटी मनी पर आज तक उपभोक्ताों को ब्याज नहीं दिया गया है। औद्योगिक उपभोक्ताओं को भी ब्याज नहीं मिला है। नये कनेक्शन में भी परेशानी आती है। उपभोक्ताओं को बिल के नाम पर परेशान किया जाता है। निगम का घाटा 30 प्रतिशत तक है, जिसे सुधारा जाना चाहिए। टैरिफ याचिका दाखिल करने के 120 दिनों के अंदर ही इस पर फैसला होना चाहिए। इस टैरिफ में 270 दिनों बाद जनसुनवाई हो रही है। ऐसे में टैरिफ पर विचार ही नहीं होना चाहिए। सौर ऊर्जा के लिए भी जागरुकता फैलानी चाहिए। स्मार्ट मीटर की सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। धर्मशालाओं में कॉमर्शियल कनेक्शन दिया जाता है। जबकि ये रियायती दर पर स्थान उपलब्ध कराते हैं। इन्हें भी घरेलू दर पर बिजली मिलनी चाहिए।

200 यूनिट फ्री बिजली का पूरा हिसाब-किताब गड़बड़ – जेसिया अध्यक्ष

जेसिया के अध्यक्ष अंजय पचेरीवाल ने कहा कि निगम उपभोक्ताओं का ख्याल नहीं रखता है। 200 यूनिट फ्री बिजली का मामला स्पष्ट नहीं है। इनके पास जब 45.45 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं और 68 प्रतिशत की ही बिलिंग होती है तो 38 लाख उपभोक्ताओं को 200 यूनिट फ्री बिजली कैसे मिलती है। पूरे निगम का ही हिसाब-किताब गड़बड़ है। थर्ड पार्टी से ऑडिट होनी चाहिए। लोड आधारित बिजली व्यवस्था जब समाप्त कर दी गयी है तो फिर दोबारा मांग कैसे की जा रही है। प्रीपेड स्मार्ट मीटर के लोग परेशान हैं। बिलिंग सही नहीं है.

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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