दिल्ली में थम गया चुनाव प्रचार का शोर, किनके दावों में कितना दम 5 फरवरी को तय करेंगे 1.55 करोड़ वोटर्स

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी प्रचार थम गया है। सभी पार्टियों और उनके नेताओं ने दिल्ली की जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर चुके, अब बारी है 1.55 करोड़ मतदाताओं की जिनके हाथ में सत्ता की चाबी है। अब जनता ही तय करेगी कि उन्हें किस पार्टी के दावों में ज्यादा दम दिखा और उन दावों को सच साबित करने के लिए किसे मौका दे रही है।

सोमवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी बड़ी पार्टियों, आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपना पूरा दमखम दिखाया। जनसभाओं से लेकर रोड शो करके अपना अंतिम चुनावी दांव चला। बता दें कि दिल्ली में एक ही चरण में सभी 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा। और वोटों की गिनती 8 फरवरी को की जाएगी।

इन फैक्टर्स पर पार्टियों ने खेला है चुनावी दांव?

दिल्ली में चुनावी दावों और वादों का दौर खत्म हो गया है। दिल्ली में अब तक यह दिखा है कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को जीत उसकी घोषणाओं ने जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन चुनावी घोषणाओं के सहारे चुनाव जीतने के दावें को भाजपा और कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है। जिस दांव पर आप पार्टी चुनाव जीतती रही है, उसी दांव पर भाजपा और कांग्रेस उसे पटखनी देने की जुगत में है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में जहां आप एकतरफा चुनाव जीतती रही है, इस बार दिल्ली का चुनाव त्रिकोणीय हो गया है।

दलितों पर दांव

राजधानी दिल्ली में 20% वोटर्स दलित हैं। इसलिए इनको लुभाने में तीनों प्रमुख पार्टियां कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं। पिछले चुनावों में इनका झुकाव आप की ओर रहा है, लेकिन हो सकता है कि इसका बार इनके वोटों का विभाजन हो जाये। भाजपा ने उन्हें पक्का मकान देने का वादा कर अपना वोट पक्का करने का जुगाड़ लगा लिया है। वैसे भी हरियाणा और महाराष्ट्र में दलित वोट झपट कर सत्ता में आने वाली भाजपा दिल्ली में भी इनसे कुछ ज्यादा उम्मीदें लगाये हुए है।

मुफ्त बिजली पानी

मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी तो दिल्ली वालों की डीएनए में समा गया है। इसको खत्म करने की हिम्मत कोई भी पार्टी नहीं कर सकती। यह चुनावों में इसका तुरुप का पत्ता रहा है।

मुस्लिम वोर्टस

दिल्ली में 13% मुस्लिम वोट हैं, जाहिर है कि पिछले दो चुनावों में आप को इनका पूरा समर्थन मिला है। भाजपा को मुस्लिम वोटर्स से उम्मीद तो न के बराबर है, लेकिन कांग्रेस प्रयास कर रही है कि इनके वोट में सेंधमारी की जाये। कांग्रेस मुस्लिम वोट मे जितनी सेंधमारी करेंगी, अप्रत्यक्ष रूप से इसका कुछ फायदा भाजपा को होगा।

मध्यम वर्ग

मध्यम वर्ग के मतदाताओं से भाजपा को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं। ऊपर से केन्द्रीय बजट में इनके लिए की गयी बड़ी-बड़ी घोषणाओं से भी भाजपा को इस वर्ग से काफी उम्मीदें हैं। निश्चित रूप से इस बार भाजपा की ओर इनका झुका हो सकता है। दिल्ली में लगभग 40% मतदाता मध्यम वर्ग से हैं। आयकर छूट के लिए बजट में की गई घोषणा भाजपा के लिए यहां बोनस होगी। क्योंकि मुफ्त की घोषणाएं तो भाजपा ने भी खूब की हैं।

8वें वेतन आयोग की घोषणा का भाजपा को लाभ!

8वें वेतन आयोग की घोषणा भाजपा के लिए एक और सकारात्मक बात है, क्योंकि बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी दिल्ली में मतदाता के रूप में रहते हैं। एक और बोनस बजट की घोषणा हो सकती है कि 12.75 लाख रुपये तक कमाने वालों को कोई आयकर नहीं देना होगा। भाजपा दिल्ली चुनाव के आखिरी दौर में इसका विज्ञापन कर रही है।

एक फैक्टर भाजपा के पक्ष में नहीं

भाजपा ने भले ढेर सारी घोषणाएं की हों, बजट और 8वें वेतन आयोग की घोषणा के बाद उसका पलड़ा भारी नजर आ रहा हो, लेकिन एक फैक्टर ऐसा भी है जिसका उल्टा असर भी हो सकता है। बता दें कि बजट 2025 में देशभर के करीब 70 लाख ईपीएस 95 पेंशनभोगियों को न्यूनतम पेंशन सीमा बढ़ाने की उम्मीद थी। केन्द्रीय वित्तमंत्री और श्रममंत्री से कई दौर की वार्ता और आश्वासन के बाद भी इस सम्बंध में कुछ भी घोषित नहीं किये जाने से पेंशन भोगियों के मन में काफी निराशा और गुस्सा भी है।अगर पूरे देश में इन पेंशन भागियों की संख्या 70 लाख है तो उस हिसाब से दिल्ली में भी इनकी बड़ी संख्या होगी। इनकी नाराजगी वोटों के प्रतिशत पर तो असर डाल ही सकती है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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