ED News: देश के दो मुख्यमंत्रियों को प्रवर्तन निदेशालय ने अलग-अलग मामलों में समन भेज कर पूछताछ के लिए अपने कार्यालय बुलाया है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सरकार से जमीन घोटाला मामले में ईडी पूछताछ करना चाहता है, वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री से दिल्ली सरकार में हुए कथित शराब घोटाले में ईडी उनसे जवाब तलब करना चाहता है। दोनों मुख्यमंत्री ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हुए अब तक समन पर ईडी कार्यालय जाने से बचते रहे हैं।
ईडी के इस प्रसंग में एक बड़ी ही दिलचस्प बात देखने को मिली है। एक ओर झारखंड में सरकार में शामिल कांग्रेस ने हेमंत सोरेन का खुलकर समर्थन किया है। झारखंड कांग्रेस सीएम हेमंत का हौसला भी बढ़ा रही है। बुधवार को सीएम आवास पर ही बैठक में कांग्रेस समेत गठबंधन पार्टी नेताओं ने सीएम हेमंत के नेतृत्व में भरोसा जताया और कहा कि वही झारखंड के सीएम हैं और आगे भी रहेंगे।
अब आते हैं दिल्ली की ओर। दिल्ली में कांग्रेस की प्रतिक्रिया इसके ठीक उलट है। झारखंड में जहां कांग्रेस सरकार ईडी वाले मामले में उनके साथ दिख रही है, वहीं दिल्ली में कांग्रेस ने केजरीवाल को ईडी के पास जाने की और उसके सवालों का जवाब देने की सलाह दी है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और राशिद अल्वी केजरीवाल को नसीहत दे रहे हैं कि उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। भले ही जांच एजेंसियां कई बार राजनीति के तहत काम करती हैं।
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि ‘एक कानूनी प्रक्रिया होती है वह तो आपको फॉलो करनी पड़ेगी। मेरे हिसाब से केजरीवाल भयंकर भूल कर रहे हैं। इन्होंने जो किया वह ठीक नहीं किया। हम मानते हैं कि कई बार ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई को देखा गया कि वे राजनीतिक रूप से काम करते हैं। लेकिन जो कानूनी प्रक्रिया है वह तो आपको करनी है।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने भी ऐसी ही सलाह केजरीवाल को दी है। राशिद ने कहा कि केजरीवाल को ईडी का सामने जाना चाहिए। उन्होंने भी कहा, ईडी पर भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन ज्यादा बेहतर होता कि अरविंद केजरीवाल सामने जाते। अगर अरविंद केजरीवाल ईडी के सामने नहीं जाते हैं तो अदालत से वारंट जारी करवाकर उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।
दोनों राज्यों में अलग है राजनीतिक स्थितियां
कांग्रेस की इस रणनीति के पीछे शायद दोनों राज्यों की राजनीतिक परिस्थितियों में अंतर बड़ी वजह है। झारखंड में जहां कांग्रेस झामुमो के साथ सरकार में है और आगामी लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में मिलकर लड़ना है। फिर लोकसभा में अभी शीट शेयरिंग का भी बड़ा फैसला लेना है। इसलिए कांग्रेस के समर्थन करने की यहां वजह दिखायी देती है। लेकिन दिल्ली में ऐसी कोई बात नहीं है। दिल्ली हो या फिर पंजाब वहां केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस से किसी प्रकार का गठबंधन नहीं करना चाहती। यानी वहां कांग्रेस को किसी भी प्रकार की कोई राजनीतिक उम्मीद भी तो नहीं है। इसलिए केजरीवाल चाहे जेल में रहें या जेल से बाहर कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस झारखंड-बिहार
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