देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष, बिबेक देबरॉय (69) का शुक्रवार को निधन हो गया. देबरॉय ने भारतीय आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मैं डॉ. देबरॉय को उनकी अंतर्दृष्टि और एकेडमिक चर्चा के प्रति जुनून के लिए हमेशा याद रखूंगा.
इन पदों पर निभाई भूमिका
बिबेक देबरॉय ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और वित्त मंत्रालय की बुनियादी ढांचे के वर्गीकरण एवं वित्तपोषण ढांचे की विशेषज्ञ समिति का नेतृत्व किया. वे 2015 से 2019 तक नीति आयोग के सदस्य रहे और अपने शानदार कार्य के लिए उन्हें 2015 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
नए संविधान की मांग से आए चर्चा में
देबरॉय ने 14 अगस्त को मिंट अखबार में प्रकाशित अपने लेख में भारत के लिए एक नए संविधान की मांग की. उन्होंने तर्क दिया कि मौजूदा संविधान का आधार 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर है और 2047 के लिए एक नए संविधान की आवश्यकता है. उनके इस बयान ने काफी सुर्खियां बटोरी थी.
शिलांग में हुआ था जन्म
अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का जन्म 25 जनवरी 1955 को मेघालय के शिलांग में हुआ. उनके दादा-दादी बांग्लादेश के सिलहट से भारत आए थे, और उनके पिता भारत सरकार की इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट्स सर्विस में कार्यरत थे.
देबरॉय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पश्चिम बंगाल के नरेंद्रपुर स्थित रामकृष्ण मिशन विद्यालय से प्राप्त की. इसके बाद, उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की. स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स गए, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की. इसके बाद, वे ट्रिनिटी कॉलेज स्कॉलरशिप के तहत आगे की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज चले गए.
कैंब्रिज में, बिबेक देबरॉय ने ब्रिटिश अर्थशास्त्री फ्रैंक हान के मार्गदर्शन में जनरल इक्विलिब्रियम फ्रेमवर्क पर कार्य किया. हालांकि, वे वहां पीएचडी करने गए थे, लेकिन उन्होंने MSc डिग्री प्राप्त की और फिर अपने देश लौट आए.