राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल के बदले नाम, नया नाम गणतंत्र मंडप, अशोक मंडप

शहर, सड़को, पार्क और बाजारों के बाद भी नाम बदलने के बाद अब राष्ट्रपति भवन में भी नाम बदल दिये गये हैं। गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दो महत्वपूर्ण हॉलों – ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ का नाम बदलकर क्रमशः ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ रखा। इसकी जानकारी राष्ट्रपति भवन की तरफ से दी गई है।

दरबार हॉल अब गणतंत्र मंडप

राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल (अब गणतंत्र मंडप) निर्विवाद रूप से प्रेजीडेंशियल पैलेस का सर्वाधिक भव्य कक्ष है। इसकी अत्यंत सादगी सभी को आकर्षित करती है। दरबार हॉल को पहले थ्रोन रूम के नाम से जाना जाता था। जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार ने 15 अगस्त, 1947 को शपथ ली थी। 1948 में सी. राजगोपालाचारी ने भी भारत के गवर्नर जनरल के रूप में दरबार हॉल में शपथ ली थी। 1977 में राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के निधन के गंभीर अवसर पर दरबार हॉल को भारत के पांचवे राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिए इस्तेमाल किया गया था। अब यहां राष्ट्र के माननीय राष्ट्रपति द्वारा असैन्य और सैन्य सम्मान दिए जाते हैं। नई सरकार के शपथ समारोह दरबार हॉल में ही आयोजित किए जाते हैं।

 

अशोक हॉल अब अशोक मंडप

अशोक हॉल (अब अशोक मंडप)  राष्ट्रपति भवन के अत्यधिक आकर्षक और सुसज्जित कक्षों में से एक है। रोचक बात यह है कि कलात्मक रूप से निर्मित विशाल यह स्थान अब महत्त्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों, विदेशों के मिशनों के प्रमुखों के पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग किया जाता है जिसे पहले स्टेट बॉल रूम के लिए उपयोग में लाया जाता था।

छत के केंद्र में एक चमड़े की पेंटिंग है जिसमें पारसी सात कज़ार शासकों में से दूसरा शासक फतह अली शाह का अश्वारोही चित्र दिखाया गया है जो कि अपने 22 पुत्रों की उपस्थिति में एक बाघ का शिकार कर रहा है। 5.20 मीटर लंबी और 3.56 मीटर चौड़ी यह पेंटिंग फतह शाह ने स्वयं इंग्लैंड के जार्ज चतुर्थ को भेंट स्वरूप प्रदान की थी। लॉर्ड इरविन के कार्यकाल के दौरान भेंट की गई कलाकृति को लंदन के भारत ऑफिस लाइब्रेरी से मंगाया गया था और स्टेट बॉलरूम की छत पर लगाई गई थी जैसा कि उस समय इसे जाना जाता था। कोई इसे एक दृष्टिभ्रम, थ्री डी इफेक्ट और पेंटर की उत्कृष्टता भी कह सकता है परंतु जब कोई भी पेंटिंग में फतह अली शाह की आंखों में कक्ष के किसी भी कोने से देखता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि वह केवल देखने वाले को ही देख रहा है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

यह भी पढ़ें: Jharkhand: बदले गये राज्य के 78 अंचलाधिकारी, सरकार ने की अधिसूचना जारी

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *