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Digital Rape जिसका इंटरनेट से नहीं है कोई वास्ता, तो फिर आखिर यह है क्या?

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Digital Rape Cases Noida:  डिजिटल रेप शब्द सुनते सबसे पहले हमारे जेहन में इंटरनेट उभरकर सामने आता है और हम साइबर क्राइम या इंटरनेट से जोड़ने की भूल कर बैठते हैं. देशभर में डिजिटल रेप (Digital rape) इन दिनों चर्चा में है. डिजिटल रेप की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. दिल्ली (Delhi) से सटे नोएडा में अभी डिजिटल रेप (Noida digital rape) का एक मामला सामने आया है, जहां पुलिस ने आरोपी को फेज -2 बस स्टैंड से गिरफ्तार किया. आरोपी ने सात साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप किया था. लोकल इंटेलिजेंस के इनपुट और CCTV फुटेज के आधार पर शुभम नाम का ये आरोपी पकड़ा गया. पीड़ित फैमिली की शिकायत दी थी कि 7 साल की बेटी दोपहर में गली में खेल रही थी तभी आरोपी टॉफी का लालच देकर उसे ले गया और नजदीक के एक मकान में ले जाकर उसके साथ गलत काम किया. पुलिस ने इसे डिजिटल रेप का मामला बताया तो यह शब्द एक बार फिर से चर्चा में आ गया.

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क्या होता है डिजिटल रेप?

कानून के जानकारों के मुताबिक डिजिटल रेप का मतलब यह नहीं कि, किसी लड़की या लड़के का शोषण इंटरनेट के माध्यम से जाल में फंसाकर किया जाए. यह शब्द दो शब्दों यानी ‘डिजिटल’ और ‘रेप’ से बना है. अंग्रेजी के ‘डिजिट’ का मतलब जहां अंक होता है. वहीं इंग्लिश डिक्शनरी के मुताबिक उंगली, अंगूठा, पैर की उंगली इन शरीर के अंगों को भी ‘डिजिट’ से संबोधित किया जाता है. यानी यह रेप की वो स्थिति है, जिसमें उंगली, अंगूठा या पैर की उंगली का इस्तेमाल किसी पीड़िता के नाजुक अंगों पर किया गया हो. डिजिटल रेप एक ऐसा घिनौना अपराध है, जिसमें बिना इजाजत के इंसान किसी के साथ अपनी उंगलियों या पैर के अंगूठे से पेनिट्रेशन करता हो.

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अकबर को हुई थी उम्रकैद

पिछले साल सितंबर के महीने में यूपी (UP) के नोएडा यानी गौतम बुद्ध नगर की जिला अदालत ने 65 साल के अकबर को डिजिटल रेप के मामले में दोषी करार दिया था. अली अकबर को उम्र कैद की सजा सुनाने से साथ 50 हजार का जुर्माना भी लगा था. ये भारत का पहला ऐसा डिजिटल रेप का मामला था, जिसमें आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. ये वारदात 21 जनवरी 2019 को पश्चिम बंगाल निवासी 65 साल के अली अकबर ने अंजाम दिया था जो सलारपुर गांव में बेटी से मिलने आया था. उसी दौरान आरोपी ने पड़ोस में रहने वाली बच्ची को टॉफी देकर उसके साथ डिजिटल रेप किया था.

डिजिटल रेप को भी पोक्सो एक्ट के अंदर शामिल किया गया

निर्भया केस के बाद डिजिटल रेप शब्द सुनने को मिला. यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए जो कोशिशें हुईं उनमें डिजिटल रेप को अपराध माना गया. इसमें बताया गया है कि हाथ की उंगली या अंगूठे से जबरदस्ती पेनिट्रेशन करना भी यौन अपराध है. इसे सेक्शन 375 और पोक्सों एक्ट की श्रेणी में रखा गया. आपको बताते चलें कि 2013 से पहले भारत में छेड़खानी या डिजिटल रेप को लेकर कोई ठोस कानून नहीं था लेकिन निर्भया रेप कांड के बाद डिजिटल रेप को भी पोक्सो एक्ट के अंदर शामिल किया गया.

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