पिछले दिनों गुजरात के अहमदाबाद में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने जो बयान दिया था, उसे पार्टी के लिए उनका सेल्फ गोल माना जा रहा है। राहुल गांधी ने भरे मंच से यह कहा था कि उनकी पार्टी में कई लोग ऐसे हैं जो भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। जाहिर है कि अगर ऐसा है तो यह सिर्फ गुजरात की कहानी नहीं होगी, ऐसा दूसरे राज्यों में सम्भव है। रविवार को कांग्रेस के झारखंड प्रभारी के राजू ने जो बयान दिया है, वह बयान भी राहुल गांधी के बयान की ही तरह है। के राजू ने रविवार को कहा कि झारखंड में उनकी पार्टी के कई कार्यकर्ता भाजपा के लिए स्पीपर सेल का काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों को पहचान कर उन्हें पार्टी का रास्ता दिखाया जायेगा।
जाहिर है कि कांग्रेस को देश भर में जिस तरह से हार मिली है, उससे उसका निराश होना स्वाभाविक है, लेकिन उन्हें हतोत्साहित करना भी तो किसी प्रकार से उचित नहीं कहा जा सकता। राहुल गांधी या फिर झारखंड प्रभारी के राजू ने जो कुछ भी कहा, अगर वह सच भी हो तो यह शीर्ष नेताओं की जिम्मेवारी बनती है कि उसकी जड़ में जाते और उनके समाधान का तरीका तलाशते। लेकिन जो लोग पार्टी में पहले से ही हताश हैं उन्हें और निराश या परेशान करना तो किसी भी रूप में बुद्धिमानी वाला फैसला नहीं कहा जा सकता।
राहुल गांधी ने जो गुजरात में कहा, उसका असर सिर्फ गुजरात में ही नहीं दिखेगा, बल्कि पूरे देश में नजर आयेगा, क्योंकि पार्टी के प्रदर्शन से पूरे देश के नेता-कार्यकर्ता हैरान-परेशान है। समाधान नहीं कर पाना उनके वश में नहीं है, क्योंकि सभी जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी की समस्याएं और समाधान शीर्ष नेतृत्व के हाथों में होती है। जो भी हो, राहुल गांघी का बयान ‘कमान से निकले तीर’ की तरह साबित हो चुका है। बयान के बाद गुजरात कांग्रेस के कुछ नेताओं-कार्यकर्ताओं में पार्टी के अंदर असंतोष की स्थिति पैदा होने का खतरा पैदा हो गया है। ये कदम कांग्रेस के लिए और भी घातक साबित हो सकता है। कांग्रेस के भीतर का अंतर्विरोध और कंफ्यूजन खुलकर सामने आ गया है। राहुल ने कहा कि पार्टी में दो तरह के लोग हैं – एक जो जनता के साथ खड़े हैं तथा दूसरे जो बीजेपी के साथ गुप्त रूप से मिलकर काम कर रहे हैं।
बैठे-बिठाये भाजपा के हाथों में आ गया लड्डू?
राजनीतिक हलकों में माना जारहा है कि राहुल गांधी ने बयान देकर भाजपा के आगे लड्डू की थाल परोस दी है। अहमदाबाद में राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस को अपने अंदर मौजूद 20-30 ‘गद्दारों’ को निकालने की जरूरत है। उनका यह बयान संकेत देता है कि पार्टी नेतृत्व को अपने ही कार्यकर्ताओं और नेताओं पर भरोसा नहीं रह गया है। अब तो गुजरात कांग्रेस में कानाफूसी शुरू हो गयी है। नेता कहने लगे हैं कि जब कोई पार्टी 30 सालों से सत्ता से बाहर हो, तो उसके कार्यकर्ताओं के अन्य दलों से संपर्क बन जाना स्वाभाविक है। ऐसे में इनको पार्टी से निकालने की जगह, प्रेरित करने की जरूरत है, जिससे वे फिर से कांग्रेस के लिए काम करें।
थोड़ी देर के लिए अगर राहुल गांधी के बयान को सच भी मन लिया जाये तो क्या यह मान लिया जाये कि महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में मिली हार के लिए अब तो जो बयानबाजिया कर रहे थे, वह सब बिना मायने के थे। क्या वह आत्मविश्लेषण किये बिना ही फर्जी वोटर लिस्ट जैसे बहाने बना रहे थे? अगर वह गुजरात की सच्चाई जानते हैं, तो बाकी जगहों पर जहां उन्हें हार मिला है, वहां की सच्चाई का भी उन्हें पता होगा। अब उन जगहों की सच्चाइयां कब उजागर करेंगे?
झारखंड प्रभारी के राजू को भी संतुलित बयान देना चाहिए था
झारखंड के कांग्रेस प्रदेश प्रभारी के राजू ने भी राहुल गांधी जैसा बयान यहां के कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए देकर शायद उचित नहीं किया है। गुजरात में चलिए कांग्रेस लगातार हार रही है, उसके लिए ऐसा बयान एक हद तक जायज हो भी सकता है, लेकिन कांग्रेस ने यहां लगातार दो चुनावों में अच्छी-खासी सीटें जीती हैं और आज यहां पर सरकार में भी है। ऐसे में अगर किसी के पेट में मरोड़ उठने लगे तो इसे क्या कहा जायेगा।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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