Dhanbad Ankita: भारत सरकार, धनबाद की अंकिता (अब स्वर्गीय) के नाम मल्टीपर्पस चूल्हा का पेटेंट करा रही है. राष्ट्रीय स्तर पर इस चूल्हे को विकसित किया जा रहा है. चुकि अंकिता अब इस दुनिया में नहीं है, इसलिए इसका पेटेंट अंकिता के पिता अमोद कुमार सिंह के नाम से कराने का सरकार ने निर्णय लिया है. इस संबंध में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के प्रतिनिधि धनबाद पहुंचे और अंकिता के पिता के हस्ताक्षर समेत अन्य प्रक्रियाओं को पूरा किया. इसके पीछे का उद्देश्य यह है कि अगर कोई कंपनी इस मॉडल का व्यवसायिक उपयोग करने की अनुमति लेती है तो इसका वित्तीय लाभ अंकिता के पिता अमोद कुमार सिंह को मिल सके.
मई 2019 में हो गयी थी अंकिता की मौत
अंकिता की मौत मई “2019 में हो गयी थी. अंकिता के माता- पिता व गाइड टीचर कुमारी अर्चना से
नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के प्रतिनिधि ने भेंट की और उनके प्रश्नों का जवाब दिया. बता दें कि ‘2019 में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता इंस्पायर अवार्ड में मल्टीपर्पस चूल्हा बनाकर देशभर में झरिया की अंकिता छा गई थी. 2019 के फरवरी में आईआईटी, दिल्ली में आयोजित इंस्पायर अवार्ड मानक स्कीम प्रोजेक्ट प्रदर्शनी में के सी बालिका उच्च विद्यालय ,झरिया की छात्रा अंकिता के मॉडल को पुरस्कृत किया गया था. इसके बाद मार्च में अहमदाबाद में आयोजित कार्यक्रम में अंकिता समेत अन्य चयनित बाल वैज्ञानिकों से राष्ट्रपति ने भेट की थी. सबके मन में यह जिज्ञासा होना स्वाभाविक है कि आखिर यह मल्टीपर्पस चूल्हा है क्या ,तो बता दें कि चूल्हे को इस ढंग से डिजाइन किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में वेस्टेज ईंधन (पराली या अन्य साधन) से भोजन बनाया जा सकता है. उस पर पानी भी गर्म हो सकता है. डिस्टिल्ड वाटर बनाया जा सकता है ,ग्रामीण क्षेत्र के लिए इसे काफी उपयोगी माना गया है.
क्या कहा अंकिता के टीचर और प्रिंसिपल ने
के सी गर्ल्स हाई स्कूल,झरिया की प्रभारी प्राचार्य ललिता कुमारी का कहना है कि उसने साबित कर दिखाया कि सरकारी स्कूलों में संसाधन भले ही कम हो लेकिन टैलेंट की कोई कमी नहीं है. आज अगर वह लड़की साथ होती तो खुशी कई गुना अधिक होती लेकिन ईश्वर को यह मंजूर नहीं था. आज स्कूल के साथ-साथ स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे है.
अंकिता को प्रोत्साहित करने वाली उसकी टीचर कुमारी अर्चना का कहना है कि वह बहुत मेधावी छात्रा थी, किसी भी चीज को जानने हैं और समझने की उसमें गजब की ललक थी. वह बिहार के किसी गांव की रहने वाली थी और अक्सर कहा करती थी कि यहां तो गैस आदि की व्यवस्था है लेकिन गांव में लोग लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाते हैं, इसलिए उसे इसका कोई वैकल्पिक रास्ता ढूंढना है और ढूंढते -ढूंढते वह मल्टीपर्पस चूल्हा बनाई ,जिसका राष्ट्रीय स्तर पर बहुत नाम हुआ.
माँ कहती है आज भी अंकिता मेरे आस-पास ही रहती है,वो मेरी बेटी नहीं बेटा थी
अंकिता की माँ आरती कहती है जो काम बेटा नहीं कर सका वह मेरी बेटी ने किया,उसने मुझे हवाई सफर तक करवा दिया।इनोवेशन आइडिया कार्यक्रम में वह बेटी के साथ भाग लेने गयी थी।वापसी के लिए उन्हें हवाई सफर का टिकट मिला था,वही से लौट कर अंकिता और उसकी माँ धनबाद पहुँची फिर अंकिता की तबीयत खराब हुई और 15 मई 2019 को हार्टअटैक से अंकिता दुनिया छोड़ कर चली गई।
ऐसा है अंकिता का बनाया मल्टीपर्पस चूल्हा।
-यह लोहे की चादर से बना गोलाकार चूल्हा है। इसकी दो परतें हैं। बीच वाले हिस्से में आग जलती है।
-दोनों परतों के बीच के हिस्से में पानी भरने की जगह है। खाना पकता है तो पानी भी गर्म होता रहता है।
-पानी के उबलने पर बनने वाली भाप को पाइप से निकालने का भी इंतजाम है।
-भाप को पाइप से एक टैंक में ले जाकर ठंडा कर डिस्टिल्ड वाटर तैयार किया जा सकता है।
-इसका इस्तेमाल इन्वर्टर की बैटरी में हो सकता है।
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