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BIT मेसरा RIMS ने विकसित की AI तकनीक प्रणाली, नवजात शिशुओं HIE बीमारी का सटीककी पहचान

BIT मेसरा और RIMS रांची ने AI आधारित प्रणाली विकसित की है जो ट्रांसक्रेनियल अल्ट्रासाउंड से नवजात शिशुओं में HIE का सटीक पता लगाती है।

रांची: झारखंड में नवजात शिशुओं के लिए स्वास्थ्य तकनीक के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया गया है। BIT मेसरा ने RIMS रांची के साथ मिलकर एक अत्याधुनिक Explainable Artificial Intelligence (XAI) आधारित सिस्टम विकसित किया है, जो Hypoxic-Ischemic Encephalopathy (HIE) का शुरुआती और सटीक निदान कर सकता है।

यह प्रणाली Transcranial Ultrasound (TCU) इमेजेज का विश्लेषण करके निर्धारित करती है कि नवजात शिशु का मस्तिष्क सामान्य है या HIE से संबंधित कोई असामान्य परिवर्तन मौजूद है।


ICMR द्वारा फंडेड हाई-टेक प्रोजेक्ट

यह प्रोजेक्ट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के तहत संचालित है।
परियोजना का शीर्षक है:
“Explainable AI for Hypoxic Ischemic Encephalopathy Detection Using Ultrasound Images in Jharkhand Neonates: A Deep Learning Approach.”

इस रिसर्च के लिए ₹40,58,495 की फंडिंग स्वीकृत की गई है।


कैसे काम करती है यह XAI प्रणाली?

नई विकसित प्रणाली में शामिल हैं:

  • कंप्यूटर विजन

  • डीप लर्निंग मॉडल

  • Explainability (XAI) Layers

यह प्रणाली TCU इमेजेज को पढ़कर:
 मस्तिष्क का विकास पैटर्न पहचानती है
 HIE से जुड़े सूक्ष्म बदलावों का पता लगाती है
 डॉक्टरों को सरल और समझने योग्य रिपोर्ट देती है

सबसे खास बात यह है कि सिस्टम एक User-Friendly Interface प्रदान करता है, जिससे जटिल अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट की व्याख्या करना आसान हो जाता है।


डॉक्टरों को कैसे मिलेगी मदद?

HIE का निदान सामान्य अल्ट्रासाउंड इमेजेज से बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। इस AI मॉडल की वजह से:

  • डॉक्टरों का Clinical Confidence बढ़ेगा

  • Interpretations में होने वाली Inter-Observer Variability कम होगी

  • शुरुआती निदान से बच्चे के इलाज में तेजी आएगी

  • ग्रामीण और छोटे अस्पतालों में भी HIE का पता लगाना आसान होगा

यह तकनीक भविष्य में झारखंड समेत पूरे देश में नवजात स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा दे सकती है।


इस प्रोजेक्ट के पीछे की टीम

BIT Mesra

  • डॉ. के. श्रीधर पटनायक – प्रधान अन्वेषक

  • डॉ. इतु स्निग्धि – सह-प्रधान अन्वेषक

RIMS Ranchi

  • डॉ. राजीव मिश्रा – विभागाध्यक्ष, नवजात विज्ञान एवं शिशु रोग

  • डॉ. राजीव कुमार रंजन – एसोसिएट प्रोफेसर, रेडियोलॉजी

अन्य सहयोगी

  • डॉ. एम. राजेश कुमार राव – ICMR-NIMR

  • साकेत कुमार सिंह – परियोजना अनुसंधान वैज्ञानिक

  • कुंदन कुमार – परियोजना अनुसंधान वैज्ञानिक


भारत में नवजात स्वास्थ्य के लिए बड़ा कदम

टीम का कहना है कि यह तकनीक आने वाले वर्षों में:

  • बड़े पैमाने पर अस्पतालों में उपयोग की जा सकेगी

  • HIE मामलों में समय रहते प्रभावी उपचार संभव होगा

  • Neonatal Health में AI का बड़ा योगदान मिलेगा

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