Labelरांची: सिकिदरी हाइडेल प्लांट की मरम्मत संबंधी 12 साल पुराने घोटाले में बिजली विभाग को 134 करोड़ रुपये की चपत लगी है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण यह नुकसान हुआ।
कॉमर्शियल कोर्ट के निर्देश के बाद बिजली निगम ने दोषी अधिकारियों की पहचान के लिए जांच कमेटी गठित की। कमेटी में जीएम (एचआर) सुनील दत्त खाखा, ऊर्जा विभाग के संयुक्त सचिव सौरभ सिन्हा और जीएम (वित्त) डीके महापात्रा शामिल थे। जांच रिपोर्ट में कुल 6 अधिकारियों को दोषी पाया गया, जिनमें शामिल हैं:
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जीएम (एचआर-उत्पादन) अमर नायक
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जीएम (तकनीकी) कुमुद रंजन सिन्हा
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तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप शर्मा
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कार्यपालक अभियंता संजय सिंह
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दो विधि अधिकारी
इस मामले में बिजली निगम ने 134 करोड़ रुपये भुगतान के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।
मामले की पृष्ठभूमि:
सिकिदरी हाइडेल की मरम्मत का कार्य वर्ष 2012-13 में बीएचईएल को दिया गया था। विवाद उस समय शुरू हुआ जब निजी कंपनी नॉर्डन पावर ने भुगतान के लिए मेरठ के एमएसएमई कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने 20.87 करोड़ रुपये के काम के एवज में ब्याज समेत 134 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।
जांच के अनुसार, बिजली निगम के अधिकारियों ने कोर्ट में पक्ष नहीं रखा कि हाइडेल की मरम्मत केवल शॉर्ट टर्म का काम था, जिसकी लागत केवल 4 करोड़ रुपये थी। लंबी अवधि का काम नहीं हुआ था, लेकिन अधिकारियों ने सारे बिल का सत्यापन कर दिया। इससे कंपनी को एकतरफा लाभ हुआ और बिजली विभाग को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
आगे की कार्रवाई:
बिजली निगम प्रबंधन ने जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और विभाग में निगरानी कड़ी की जाएगी।