Demo Of RVM: अब देश के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले वोटर्स अपने निर्वाचन क्षेत्र में होने वाले चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर पाएंगे. ये सबकुछ RVM के माध्यम से संभव हो पाएगा. रिमोट वोटिंग मशीन (RVM) का प्रोटोटाइप तैयार है और इस पर आज राजनीतिक पार्टियों के साथ चुनाव आयोग ने चर्चा किया. हालांकि, राजनीतिक पार्टियां रिमोट वोटिंग मशीन का विरोध कर रहीं हैं.
चुनाव आयोग ने RVM का Demo दिखाया
चुनाव आयोग ने सोमवार को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी RVM का प्रोटोटाइप दिखाया (Demo Of RVM). आयोग ने अपने घर से दूर रहने वाले वोटर्स बनाए गए इस सिस्टम के डेमोस्ट्रेशन के लिए मान्यता प्राप्त आठ राष्ट्रीय दलों और 57 क्षेत्रीय दलों को बुलाया था। हालांकि, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने RVM सिस्टम लाने की कोशिशों का विरोध किया है।

कांग्रेस समेत 16 दलों ने किया विरोध
आयोग ने अपने घर से दूर रहने वाले वोटर्स बनाए गए इस सिस्टम के डेमोस्ट्रेशन के लिए मान्यता प्राप्त आठ राष्ट्रीय दलों और 57 क्षेत्रीय दलों को बुलाया था. हालांकि, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने RVM सिस्टम लाने की कोशिशों का विरोध किया है. दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में JDU, शिवसेना उद्धव गुट, नेशनल कॉन्फ्रेंस, माकपा, झामुमो, राजद, PDP, VCK, RUML, राकांपा और सपा समेत 16 दल शामिल हुए। सभी ने RVM प्रपोजल का विरोध किया.
यह अधूरा और पूर्ण नहीं-दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने रविवार को कहा कि अधिकतर विपक्षी दलों ने रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Remote Electronic Voting Machines) पर निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया है क्योंकि यह अधूरा है और पूर्ण नहीं है. उन्होंने कहा कि यह ठोस नहीं है, प्रस्ताव में भारी राजनीतिक विसंगतियां और समस्याएँ हैं जैसे कि प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा और संख्या स्पष्ट नहीं होना. उन्होंने कहा हमने आरवीएम के प्रस्ताव का विरोध करने का मन बना लिया है. उन्होंने विपक्षी दलों की एक बैठक के बाद यह टिप्पणी की, जिसमें कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), नेशनल कॉन्फ्रेंस, झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित अन्य दलों के नेताओं ने भाग लिया.
क्या है RVM ?
29 दिसंबर 2022 को चुनाव आयोग ने RVM के बारे में मीडिया को बताया था कि ये ऐसी मशीन है, जिसकी मदद से प्रवासी नागरिक बिना गृह राज्य आए अपना वोट दे सकते हैं. किसी दूसरे राज्य में रहने वाले जब अपने निर्वाचन क्षेत्र में वोटिंग के समय जाकर वोट नहीं कर पाते हैं. ऐसे में अब RVM ऐसे लोगों को अपने मताधिकार के प्रयोग का मौका देगा.
ऐसी होगी रिमोट वोटिंग की प्रक्रिया?
रिमोट मतदाताओं को एक तय समय में रिमोट वोटिंग के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होगा. इसके बाद चुनाव आयोग की टीम रिमोट मतदाताओं द्वारा दी गई जानकारी को उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र में वेरिफाई करवाएगी. इसके बाद रिमोट वोटर्स के लिए मतदान के समय रिमोट वोटिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे. मतदान केंद्र पर वोट डालने वाले के वोटर आईडीकार्ड को आरवीएम पर मतपत्र प्रदर्शित करने के लिए स्कैन किया जाएगा. इसके बाद मतदाता को आरवीएम पर अपनी पसंद के प्रत्याशी के लिए वोट करने का मौका मिल जाएगा.
नतीजे गृह राज्य में रिटर्निंग अधिकारियों के साथ शेयर किए जाएंगे
वोटिंग के बाद वोट रिमोट कंट्रोल यूनिट में राज्य कोड, निर्वाचन क्षेत्र संख्या और उम्मीदवार संख्या के साथ दर्ज किया जाएगा. वीवीपीएटी राज्य और निर्वाचन क्षेत्र कोड के अलावा उम्मीदवार का नाम, प्रतीक और क्रम संख्या जैसे विवरण के साथ पर्ची प्रिंट करेगा. मतगणना के दौरान आरवीएम की रिमोट कंट्रोल यूनिट उम्मीदवारों के क्रम में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के कुल मतों को पेश करेगी. मतगणना के लिए नतीजे गृह राज्य में रिटर्निंग अधिकारियों के साथ शेयर किए जाएंगे.
क्यों रिमोट वोटिंग की जरूरत पड़ी?
एक्सपर्ट के मुताबिक भारत में एक तिहाई से ज्यादा लोग आज भी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. जैसे शहरों में चुनाव के प्रति उदासीनता, युवाओं की कम भागीदारी और प्रवासी नागरिकों का दूर रहना आदि शामिल हैं. बड़ी संख्या में ऐसे लोग रहे, जो वोट तो देना चाहते हैं लेकिन दूर रहने के कारण ऐसा नहीं कर पाते, अब आरवीएम के जरिए ऐसे लोग भी वोट डाल पाएंगे. उम्मीद है कि इससे वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी।
ये भी पढ़ें : Politics: भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज से, 9 राज्यों के साथ 2024 चुनाव पर नजर