जेल से बाहर आने के बाद और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते समय अरविन्द केजरीवाल ने जो दावे किये थे, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में हवा हो गये। आपको याद होगा कि केजरीवाल ने कहा था कि वह तभी दिल्ली की कुर्सी पर बैठेंगे जब यहां की जनता उन्हें निर्दोष साबित करते हुए उन्हें इसका जनादेश देगी। तो क्या अरविन्द केजरीवाल के साथ मनीष सिसोदिया की हार को यह मान लिया जाये कि जांच एजेंसियां ही नहीं, दिल्ली की जनता भी उन्हें निर्दोष नहीं मानती है! दिल्ली चुनाव लड़ रहे तीन दिग्गजों में मुख्यमंत्री आतिशी मर्लेना ही अपनी सीट बचाने में सफल रहीं। उन्होंने भाजपा के रमेश विधूडी को चित कर चुनाव जीत लिया है। रमेश विधूडी को शायद दिल्ली की जनता ने उनके बड़बोलेपन का जवाब दिया है।
नयी दिल्ली से जहां भाजपा के प्रवेश वर्मा ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविन्द केजरीवाल को हराया। वहीं, जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के तरविन्दर सिंह मरवाह ने आप उम्मीदवार मनीष सिसोदिया ने 675 वोटों से हरा दिया।
राजधानी के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एग्जिट पोल की भविष्यवाणी सच कर दिखाया है। AAP के दिग्गज नेताओं की हालत खराब तो है ही, पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी भी बाहर का रास्ता देख चुके हैं। भाजपा जहां 47 सीटें लेकर सबसे आगे रही, वहीं आम आदमी पार्टी 23 सीटें ही ला सकी। कांग्रेस की हालत तो सबसे खराब रही। उसके हाथ लगातार तीसरी बार खाली रहे।
आप और कांग्रेस ने किसको हराया?
देखा जाये तो आप और कांग्रेस की हार एक साथ मिल कर चुनाव नहीं लड़ने के कारण हुई है। क्योंकि दोनों के वोट प्रतिशत मिलाकर भाजपा से ज्यादा हो जा रहे हैं। लेकिन दोनों ही पार्टियां सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहीं लड़ रही थीं, बल्कि दोनों ही दिल्ली में भविष्य की बुनियाद रखने के लिए लड़ रही थीं, जिसमें आप तो बहुत हद तक सफल रही, क्योंकि उसके वोट प्रतिशत गिरने के बाद भी भाजपा से कुछ ही कम हैं। दूसरी ओर कांग्रेस इस बार भी अपना वोट प्रतिशत बढ़ाने में सफल नहीं रही। यह सभी जानते हैं कि आप अगर दो बार सत्ता में आयी भी थी तो वह कांग्रेस के वोटों की बुनियाद पर ही तभी वह अपनी राजनीति इमारत खड़ी कर पायी।
2013 में अन्ना आंदोलन से निकली आप ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर प्रचार किया। लेकिन वह खुद ही भ्रष्टाचार में घिर गयी। अब एक बार कुछ ऐसी ही परिस्थितियां अरविंद केजरीवाल के सामने हैं। केजरीवाल समेत पार्टी के कई नेता कथित शराब घोटाले मामले में जेल जा चुके हैं। सभी जमानत पर बाहर हैं। अब देखना है कि इस चुनाव के बाद इनका राजनीतिक भविष्य क्या होता है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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