जब से आम आदमी पार्टी (AAP) अस्तित्व में आयी है, तब से उसे न तो भाजपा और न ही कांग्रेस जैसी बड़ी और राष्ट्रीय पार्टियां उसे टक्कर दे पा रही हैं। अरविन्द केजरीवाल दिल्ली में जीत की हैट्रिक बनाने के इरादे से उतरी है। वहीं भाजपा 27 सालों के बाद उसे सत्ता से बाहर करने का प्लान तैयार कर मैदान में है। कांग्रेस भी अपनी चुनावी घोषणाओं के बल पर ताल ठोंक रही है। दिल्ली में ऐसा भले ही लग रहा हो कि चुनाव या तो आप और भाजपा के बीच होगा या फिर यह मुकाबला आप-भाजपा-कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय हो जायेगा। जिसमें पिछले दो बार खाली हाथ रहने वाली कांग्रेस के तीसरे नम्बर पर ही रहने की सम्भावना है। मगर इस बार कुछ ऐसा भी होगा, जो दिल्ली के पिछले चुनावों के लिहाज से अप्रत्याशित भी हो सकता है।
दरअल, कई छोटे दल और निर्दलीय भी जंग को और दिलचस्प बनाने के लिए तैयार हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम दिल्ली में करीब 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। ओखला से जंगपुरा तक पार्टी उन सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है जहां मुस्लिम वोटर्स की आबादी अच्छी है और हार-जीत में उनकी भूमिक अहम होगी। एआईएमआईएम जहां मुस्तफाबाद और ओखला में उम्मीदवार का ऐलान कर चुकी है। इसके अलावा पार्टी बाबरपुर, बल्लिमारान, चांदनी चौक, जंगपुरा, सदर बाजार, मटिया महल, करावल नगर और सीलमपुर में अपने प्रत्याशी लड़ा सकती है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि ओवैसी की पार्टी के ये उम्मीदवार विशेषकर ‘आप’ को ही नुकसान पहुंचाएंगे। 2013 से अधिकतर मुस्लिम वोटर्स अरविंद केजरीवाल की पार्टी का साथ देते रहे हैं। खास तौर पर तीन सीटों पर एआईआईएमआईएम ने ‘आप’ की चिंता बढ़ा सकती है जहां पार्टी के तीन प्रमुख चेहरे चुनाव लड़ रहे हैं। जंगपुरा से पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, बाबरपुर से मंत्री गोपाल राय और ओखला से सबसे प्रमुख मुस्लिम चेहरे अमानतुल्लाह खान चुनाव लड़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के दमखम लगाने से पहले ही ‘आप’ को नुकसान की आशंका है। ऐसे में यदि ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब होती है तो अरविंद केजरीवाल की चिंता बढ़ सकती है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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