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Chandrayaan 3 के लॉन्च की उलटी गिनती शुरू, चांद पर उतरने वाला चौथा देश बनेगा भारत

chandrayaan 3

Chandrayaan 3 भारत का तीसरा lunar exploration मिशन भारत को चांद की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगा. इसके साथ ही चांद की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए देश की हिम्मत को दिखाएगी.

आंध्र प्रदेश श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) से शुक्रवार को उड़ान भरने से पहले गुरुवार को ही मिशन के लॉन्च की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी.

इसरो ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि मिशन पूरी तरह से तैयार है. बोर्ड ने लॉन्च की अनुमति दे दी,काउंटडाउन कल गुरुवार को शुरू होगी.

Chandrayan-3 को GSLV Mark 3 (LVM3) heavy lift launch vehicle पर लॉन्च किया जाएगा.

2019 में Chandrayaan-2 मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करने के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का Chandrayaan-3 एक फॉलो अप प्रयास होगा.

एक “लॉन्च परीक्षण” जो पूरे सेटअप और लॉन्च की जांच करता है, उसे ISRO ne पूरा कर लिया है.

यदि सब कुछ ठीक रहा, तो Chandrayaan-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन जायेगा. ये लॉन्च भारत की तकनीकी शक्ति और अंतरिक्ष यात्रा की बढ़ती चाहत को प्रदर्शित करेगा.

ISRO विज्ञानिकों की माने तो, चंद्रयान -3 मिशन चांद की सतह पर एक सुरक्षित और बेहतर लैंडिंग करेगा, जिसमें एक रोवर चांद की परिक्रमा करेगा और वहीं साइट पर साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करेगा.

ISRO के पूर्व निदेशक के सिवन ने ANI को बताया कि मिशन चंद्रयान-3 की सफलता से गगनयान जैसे कार्यक्रमों का मनोबल बढ़ेगा. आगे उन्होंने कहा कि “हमें समझ आया कि चंद्रयान-2 में क्या गड़बड़ी हुई जब हम चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर सके, हमने इसे फिर से बनाया और हमने सुनिश्चित किया कि इस बार हमें सफलता मिले. चुनौती चंद्रयान-2 जैसी ही है, लैंडिंग के लिए माहौल भी वैसा ही है. इस बार हमें उम्मीद है कि हमने चंद्रयान-2 के सबक के आधार पर काफी कुछ नया किया है जो हमें और है। अंतरिक्ष में हमेशा कुछ न कुछ अज्ञात रहता है,उम्मीद है कि सभी मुद्दों का समाधान हो जाएगा और हम सफलता के साथ उभरेंगे. हम एक एस्ट्रोनॉमिकल पिंड पर तकनीकी लैंडिंग करा रहे हैं। सफलतापूर्वक लैंडिंग करके हम लैंडिंग तकनीक हासिल कर लेंगे और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए अच्छा होगा। कई वैज्ञानिक प्रयोगों की योजना बनाई गई है और वैज्ञानिकों को चंद्रमा के भूविज्ञान और पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में अधिक जानकारी होगी.”

चंद्रयान-1 के मिशन निदेशक माइलस्वामी अन्नादुरई (Mylswamy Annadurai) ने कहा कि चंद्रयान-3 एक बहुत ही महत्वपूर्ण मिशन है.

उन्होंने ANI को बताया कि भारत ने दिखाया है कि हम चांद परिक्रमा कर सकते हैं, लेकिन आखिरी बार हम सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सके। इस बार ऐसा करके हम दिखायेंगे. ये साबित करेंगे कि चंद्रयान-1 ही भारत की अकेली सफलता नहीं थी.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, दुनिया चांद की ओर देख रही है, इसका असली शुरुवात चंद्रयान-1 से ही हुई है. इसलिए हमें इस मिशन को सफल बनाने की जरूरत है.

“चंद्रयान 1 और 2 से कठिन सबक सीखे गए। हर कदम पर, हमें एक प्लान बी रखना होता है। चंद्रयान-2 में कुछ असफलताएं थीं। इस बार हम ट्रैक पर वापस आ गए हैं। हम इस बारे में स्पष्ट हैं कि हम क्या करना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करेगा कि हम चंद्रमा की सतह पर आसानी से उतर सकें। लैंडिंग का लक्ष्य भी बड़ा है, सभी तत्वों का कई बार परीक्षण किया गया है, हमें उम्मीद है कि यह सफल रहेगा.”

Chandrayaan 3 का विकास चरण जनवरी 2020 में शुरू हुआ और इसे 2021 में लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण विकास प्रक्रिया में देरी हुई.

2008 में लॉन्च किए गए चंद्रयान-1 मिशन की प्रमुख खोज चंद्रमा की सतह पर पानी (H2O) और हाइड्रॉक्सिल (OH) का पता लगाना है। डेटा से ध्रुवीय क्षेत्र की ओर उनकी बढ़ी हुई बहुतायत का भी पता चला.

ISRO के तहत विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने एक रिपोर्ट में कहा, “इस मिशन का प्राथमिक विज्ञान उद्देश्य चांद के करीब और दूर दोनों पक्षों का 3D एटलस तैयार करना और बेहतरीन स्थानिक रिज़ॉल्यूशन के साथ पूरे चांद की सतह का रासायनिक और खनिज नक्शा तैयार करना था.”

भारत का एक सफल चंद्र मिशन पृथ्वी पर जीवन को बढ़ाने में मदद करेगा और सोलर सिस्टम के बाकी हिस्सों और उससे आगे का पता लगाने के लिए तैयार होगा.

भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (ISRO) के निदेशक एस सोमनाथ (AS Somnath) ने एक रिपोर्ट में कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो अंतरिक्ष यान 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतर सकता है.

ISRO ने अनुमान लगाते हुए बयान दिया कि, चांद पर लैंडिंग की तारीख सूर्योदय के आधार तय की गई है लेकिन अगर इसमें देरी हुई तो लैंडिंग अगले महीने भी हो सकती है.

जैसे-जैसे Chandrayaan 3 के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हो रही है, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और नागरिकों के बीच उत्सुकता बढ़ती जा रही है. यह मिशन न केवल अंतरिक्ष की ख़ोज में भारत की बढ़ते यश को दिखाती है, बल्कि ब्रह्मांड की विशालता का पता लगाने और ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने के मानवता की लगातार कोशिश की याद भी दिलाता है.

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