न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
खबरें आ रही हैं, देश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है। राजनीति भी इस संक्रमण की चपेट में है। अभी हाल में कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ‘नेशनल हेराल्ड’ मामले में ईडी का नोटिस मिला था। ईडी ऑफिस में पेश होने के एक दिन पहले सोनिया गांधी कोरोना पॉजिटिव हो गयीं। झारखंड में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सशरीर अथवा अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में पेश होना था, ऐन पेशी के वक्त सीएम के अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोरोना पॉजिटिव हो गये। इस समय महाराष्ट्र में महागठबंधन की सरकार संकट में है। सरकार का बचना मुश्किल लग रहा है। कोरोना संक्रमण यहां भी पहुंच गया। और कोई नहीं, खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कोरोना संक्रमित हुए हैं। कोरोना संक्रमित होने के बाद घर से राजनीति कर रहे ठाकरे को भी झटका लगा है। महाराष्ट्र के गवर्नर कोशियारी भी कोरोना संक्रमित होकर अस्पताल पहुंच गये हैं। है न, कोरोना का अजब संयोग!
क्या है महाराष्ट्र की ताजा सियासी स्थिति?
महाराष्ट्र में जारी सियासी घटनाक्रम हर पल नया मोड़ ले रहा है। कल तक सियासी संकट दूर हो जाने का दावा करने वाली उद्धव ठाकरे सरकार आज बैकफुट पर आ गयी। उद्धव ठाकरे सरकार भंग करने की सिफारिश तक करने की बात कह चुके हैं। लेकिन उनके इस मकसद पर गवर्नर के सूत्रों ने यह कह कर विराम लगा दिया कि गवर्नर सरकार भंग नहीं करेंगे।
महाराष्ट्र सरकार का सारा संकट एकनाथ शिंदे के कारण है, क्योंकि उनके समर्थन में करीब 40 विधायक हैं। इन विधायकों को माइनस कर लेने के बाद उद्धव सरकार किसी भी सूरत में सरकार बचाने के आंकड़े तक नहीं पहुंच पा रही है। फिलहाल उद्धव ठाकरे ने व्हीप जारी कर शाम पांच बजे तक सभी शिवसेना विधायकों को वर्षा में उपस्थित करने को कहा है। शायद वह एक बार फिर अपनी शक्ति का आकलन कर लेना चाह रहे हैं। वैसे, शिवसेना के सभी विधायकों का इस निर्धारित समय पर उपस्थित रहना सम्भव नहीं है, तब वह क्या निर्णय करेंगे, यह देखने वाली बात होगी। इससे पहले सीएम ने कैबिनेट की बैठक की। सभी यही उम्मीद कर रहे थे कि इस बैठक के बाद उद्धव ठाकरे या तो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे या गवर्नर से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करेंगे। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। शायद उद्धव ठाकरे अब भी किसी चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं।
बीजेपी फूंक-फूंक कर रख रही कदम
बीजेपी भले ही अंदर-अंदर अपनी तैयारियों में जुटी है, लेकिन वह अपनी ओर से कोई हड़बड़ी नहीं दिखा रही है। क्योंकि हड़बड़ी का नतीजा क्या होता है, वह 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भुगत चुकी है। जब अजित पवार के क्षणिक आश्वासन पर पूरा भरोसा कर भाजपा ने महाराष्ट्र में सरकार बना ली। उसके बाद दुर्भावना से ग्रसित होकर शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से बेमेल गठबंधन कर राज्य में सरकार बना ली। भाजपा मुख्यमंत्री ठाकरे के कोरोना पॉजिटिव हो जाने की राजनीतिक मंशा समझ रही है। मुख्यमंत्री 14 दिनों तक एकांतवास में रहना चाहते हैं और इस बीच सारी चीजों को अपने पक्ष में करने का प्रयास करना चाहते हैं। इसलिए भाजपा की रणनीति वेट एंड वॉच की रहेगी। अगर वास्तव में एकनाथ शिंदे हिन्दुत्व के मुद्दे पर खफा हैं तो उनकी वापसी सम्भव नहीं है, लेकिन उनके पक्ष में जो भी 40 विधायक हैं, वे कब तक उनके साथ रहेंगे यह देखने वाली बात होगी।
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