Raipur Congress National Convention रांचीः छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आज से (24 फरवरी) कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे गुरुवार को ही रायपुर पहुंच चुके हैं. राहुल गांधी समेत तमात नेता आज (शुक्रवार) इस अधिवेशन (Raipur Congress National Convention) में भाग लेंगे.
एआईसीसी और पीसीसी डेलीगेट्स ले रहे हिस्सा
इस राष्ट्रीय अधिवेशन में झारखंड से एआईसीसी और पीसीसी डेलीगेट्स मेंबर भी भाग लेंगे.इसके अलावा इस अधिवेशन में 2024 को लेकर विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेस की क्या नीति होगी, इस पर भी चर्चा की जाएगी. कांग्रेस महासचिव के मुताबिक रायपुर अधिवेशन में गिरती अर्थव्यवस्था, महंगाई, बेरोजगारी और यूथ के मुद्दे पर कांग्रेस की रणनीति पर भी चर्चा होगी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में झारखंड के AICC और PCC डेलीगेट्स के 250 से 300 सदस्य हिस्सा लेने जायेंगे.
इलेक्टेड डेलीगेट्स में शामिल प्रमुख नेता
इलेक्टेड डेलीगेट्स में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, झारखंड सरकार में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम, राज्यसभा सांसद धीरज साहु, लोक्सबह सांसद गीता कोड़ा, मंत्री बन्ना गुप्ता, बादल दल पत्रलेख शामिल हैं. इनके अलावा बंधु तिर्की, जलेश्वर महतो, सुबोधकांत सहाय, प्रदीप यादव, प्रदीप बलमुचु, सुखदेव भगत, डॉ. अजय कुमार, दीपिका पाण्डेय सिंह, रमा खलखो और अन्य शामिल हैं .
कई मायनों में महत्वपूर्ण है यह अधिवेशन
रामगढ़ उपचुनाव को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम हिस्सा लेने नहीं जायेंगे. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय सहित कई विधायक और सांसद, मंत्री राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने वाले हैं. बताया जा रहा है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी का यह अधिवेशन कई मायनों में महत्वपूर्ण है. इसमें 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को जीतने की रणनीति बनाई जाएगी. जिसमें तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में कई सामाजिक और राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए जाएंगे.
अधिवेशन के लिए बंधु तिर्की ने तैयार किया 16 सूत्री सुझाव
रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होने वाले 85वां राष्ट्रीय अधिवेशन में इस बार का विषय सामाजिक न्याय न्याय और सशक्तिकरण रखा गया है. इस विषय को लेकर झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने 16 सूत्री सुझाव भी तैयार किया है, जिसे वो राष्ट्रीय अधिवेशन में रखेंगे. भारत के जो राज्य पांचवी और छठी अनुसूची में है, वहां पर आदिवासियों को इस अनुसूची के प्रावधानों का लाभ मिलना चाहिए. इसके अलावा वन अधिकार कानून का सख्ती से पालन करना सुनिश्चित करने सहित कई मुद्दों को इसमें रखा गया है.
संकट से निकालने की कोशिश
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को जीतने की रणनीति बनाई जाएगी. जिसमें तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में कई सामाजिक और राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए जाएंगे.ये अधिवेशन कांग्रेस के लिए इस लिए भी महत्वपूर्ण है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस इस समय मुश्किलों के दौर से गुजर रही है. देश के महज तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. इस साल छत्तीसगढ़ सहित कुल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
सीडब्ल्यूसी चुनाव पर भी फैसला
इस अधिवेशन कांग्रेस कार्यसमित के चुनाव को लेकर भी फैसला किया जाएगा. ऐसे में पार्टी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में होने वाली संचालन समिति की बैठक में सीडब्ल्यूसी चुनाव पर भी निर्णय ले सकती है. अगर कांग्रेस पार्टी चुनाव कराने का फैसला लेती है तो 26 साल बाद ऐसा होगा, जब सीडब्ल्यूसी का चुनाव होगा. इसके अलावा पार्टी ने तय किया है कि वह आदिवासियों पिछड़ों दलितों और अल्पसंख्यकों को भी इसमें हिस्सेदारी देगी.
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