Congress-JMM Seat-Sharing: कांग्रेस ने अगले साल होने वाले आम चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव को लेकर कांग्रेस रणनीति तैयार करने में जुट गई है। बुधवार को झारखण्ड के 14 लोकसभा सीटों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के साथ प्रदेश कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई। नयी दिल्ली में आयोजित बैठक में 2024 के चुनाव में झारखंड के 14- 14 लोकसभा सीट जीतने का संकल्प लिया गया। सभी 14 सीटों पर कांग्रेस का भाजपा को पराजित करने का लक्ष्य है।लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों ने I.N.D.I.A. गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में कांग्रेस और झामुमो भी हैं।
झामुमो और आरजेडी कांग्रेस के दावे को करेगी स्वीकार ?
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी ने झारखंड की 9 सीटों पर दावा कर दिया है, जबकि राज्य की प्रमुख पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा है। हालांकि राष्ट्रीय जनता दल और झामुमो गठबंधन के पुराने साथी हैं। अब सवाल है कि कांग्रेस की 9 सीटों की मांग पर क्या जेएमएम तैयार होगा? झामुमो और आरजेडी के लिए कांग्रेस के दावे को स्वीकार करना आसान नहीं है। अभी झारखंड की 11 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। कांग्रेस, झामुमो और आजसू के खाते में एक-एक सीट ही है।
कांग्रेस ने शुरू कर दी है 9-4-1 के फार्मूले पर चुनाव की तैयारी
कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में पिछली बार से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं। उसकी नजर में झारखंड में कांग्रेस पहले से काफी मजबूत हुई है। इस लोकसभा चुनाव में झारखंड कांग्रेस ने 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के मुकाबले दो सीटें ज्यादा लड़ना चाहती है। जानकारी के अनुसार, पार्टी ने 9-4-1 के फार्मूले पर 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू भी कर दी है। दरअसल, 9 सीटें कांग्रेस अपने पास रखना चाहती है, जबकि 4 सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और मात्र एक सीट राजद को देने के पक्ष में है. हालांकि, झामुमो या राजद से कांग्रेस की अभी सीट शेयरिंग पर बात नहीं हुई है।
जेएमएम की नजर अधिक सीटों पर
उधर झारखंड मुक्ति मोर्चा की नजर इस बार लोकसभा चुनाव में अधिक सीटों पर है, जबकि कांग्रेस दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मोर्चा के लिए पांच सीटें छोड़ी थी। कांग्रेस के खाते में नौ सीटें आई थीं। कांग्रेस ने अंदरूनी समझौते के तहत दो सीटें उस वक्त बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (लोकतांत्रिक) के लिए छोड़ी थी। मरांडी अब भाजपा में हैं। कांग्रेस का दावा अभी भी उतनी ही सीटों पर है। उधर झारखंड मुक्ति मोर्चा सात से अधिक सीटों पर दावेदारी करने की तैयारी में है। जेएमएम इससे संबंधित मांग पार्टी फोरम में पहले उठा चुकी है। इसलिए सीटों की दावेदारी को लेकर खींचतान बढ़ने की पूरी संभावना है।जानकारी के मुताबिक कांग्रेस की पसंद की सीटों में हजारीबाग, पश्चिम सिंहभूम, चतरा, गोड्डा, धनबाद, रांची, खूंटी, लोहरदगा और कोडरमा हैं। वहीं अभी मात्र पश्चिम सिंहभूम ही एकमात्र ऐसी संसदीय सीट है, जिस पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां गीता कोड़ा ने पिछले चुनाव में बीजेपी के लक्ष्मण गिलुवा को शिकस्त दी थी। 2019 लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में कांग्रेस, जेएमएम, जेवीएम और राजद थे। इसमें जेएमएम ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से राजमहल सीट पर उसकी जीत हुई थी।
सिंहभूम सीट पर झामुमो की दावेदारी
झारखंड मुक्ति मोर्चा सिंहभूम संसदीय सीट पर दावेदारी कर रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा की जिला समिति यह प्रस्ताव पारित करा चुकी है कि सिंहभूम सीट पर उसका प्रत्याशी होना चाहिए। इसके पीछे जिले की सभी विधानसभा सीटों में एक को छोड़कर सभी सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का विधायक होने का तर्क दिया जा रहा है। उधर जेएमएम के अंदरखाने से मिली जानकारी के मुताबिक झामुमो 7 सीटों पर अपना दावा कर रहा है, वहीँ राजद की नजर पांच से अधिक सीट पर है। ऐसे में दावेदारी या उलटफेर होने पर गठबंधन में खींचतान की स्थिति बन सकती है। बहरहाल ‘इन सारे सवालों का जवाब तलाशना और सहमति के लिए फॉर्मूला निकालना ‘आईएनडीआईए’ के लिए परेशानी खड़ा करता दिख रहा है।
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