जो बिहार में राजद कर रहा, उसी फॉर्मूले पर झारखंड में चल रही कांग्रेस!

Congress is running in Jharkhand on the same formula which RJD is running in Bihar.

28 दलों ने मिलकर एक गठबंधन तैयार किया था जिसका नाम है INDIA. इस गठबंधन का मकसद भाजपा को हराना था, लेकिन यह गठबंधन आज खुद से ही ‘हार’ रहा है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि यह भाजपा से लड़ने के बजाय आज आपस में ही लड़ रहा है। इसके पीछे की वजह महत्वाकांक्षा तो है ही, लेकिन यह गठबंधन ‘गठबंधन धर्म’ को निभाने में पूरी तरह से फेल रहा है। इसमें गठबंधन की दूसरी पार्टियां तो जिम्मेवार हैं ही, सबसे बड़ी जिम्मेवार खुद कांग्रेस ही है। उसने सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी होने के अहम के कारण उसका फायदा तो उठाना चाहा, लेकिन फायदा तो दूर, दूसरी पार्टियां उसे अपने-अपने राज्यों में ‘जूठन’ भर ही देना चाह रही हैं। यही कारण है कि आज कांग्रेस बिलबिला रही है।

हर राज्य से कांग्रेस को मिल रहा है अपमान!

कांग्रेस के साथ जो कुछ भी हुआ या हो रहा है, उसे उसका अपमान ही कहा जायेगा। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड हर जगह उसे अपमानित होना पड़ रहा है। दूसरे राज्यों में तो उसकी दाल नहीं गली, लेकिन बिहार में जब नीतीश कुमार ने खुद को इंडी गठबंधन से अलग कर लिया तो कांग्रेस को लगा कि कम से कम यहां तो उसे थोक भाव में सीटें मिल जायेंगी, लेकिन उसका दांव यहां भी उलटा पड़ गया। सीट शेयरिंग की महीनों पहले से चर्चा इंडी गठबंधन में चल रही थी, लेकिन हर पार्टी इससे बचती रही हैं। चुनाव के नजदीक आने के बाद भी इस मसले पर सबसे ज्यादा कन्फ्यूज अगर कोई है तो वह है कांग्रेस। बिहार में जब सीट शेयरिंग पर बात तो क्या चर्चा भी आगे नहीं बढ़ी तब राजद ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करनी शुरू कर दी। राजद सुप्रीमो लालू ने अपने परिवार के साथ दूसरे प्रत्याशियों को टिकट देकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दीं। राजद ने उन सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिये जिन पर कांग्रेस दावा करती रही है। बिहार में सबसे हास्यास्पद स्थिति तो अपनी पार्टी का कांग्रेस का विलय करने वाले पप्पू यादव की हो गयी है। इधर उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की, उधर लालू ने जदयू विधायक बीमा भारती को अपनी पार्टी में शामिल कराकर पूर्णिया का टिकट भी थमा दिया। अब पप्पू यादव ‘हाय-हाय’ कर रहे हैं कि पूर्णिया उनकी सीट है और वह उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। कुल मिलाकर सीटों का बंटवारा करने में देर करने वाली कांग्रेस उसका खमियाजा भुगत रही है। इधर सीट की घोषणा नहीं हो रही है, उधर चुनाव की तारीखें दिनोदिन नजदीक आती जा रही  हैं।

झारखंड में राजद का फार्मूला अपनाने का कांग्रेस को कितना फायदा!

बात करें झारखंड की तो झारखंड में भी इंडी गठबंधन की सीटों का बंटवारा अभी हुआ ही नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद तो इंडी गठबंधन की गतिविधियां वैसे भी झारखंड में अस्त-व्यस्त हैं। सीटों का बंटवारा हुए बिना ही कौन-सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उसको लेकर चर्चाएं जरूर गर्म हैं, लेकिन सच्चाई से उसका कोई नाता नहीं है। इसे झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के बयान से भी समझा जा सकता है। सुप्रियो ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 7-5-1-1 का फॉर्मूला कहां से आया है उन्हें पता नहीं है। जबकि अभी गठबंधन में सीटों का बंटवारा हुआ ही नहीं है। सुप्रियो ने तो साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि दावा नहीं, जीत की गारंटी ही सीट बंटवारे का आधार बनेगी। सुप्रियो का यह बयान ऐसे समय में आया जब कांग्रेस के प्रत्याशी किन-किन सीटों पर लड़ेंगे की घोषणा करने के लिए दिल्ली में कांग्रेस की बैठक चल रही थी। इस बैठक में कांग्रेस ने झारखंड के तीन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर दी हैं। लोहरदगा से सुखदेव भगत, खूंटी के कालीचरण मुंडा और हजारीबाग से जेपी पटेल के नामों का ऐलान कांग्रेस ने कर दिया है। अब देखना यह है कि सीट शेयरिंग बिना सीटों के ऐलान पर झामुमो और उसकी एक अन्य सहयोगी राजद का रुख क्या रहता है। यहां यह भी बता दें कि राजद भी झारखंड में सीटों को लेकर अपने दावे कर रही है। ये सभी बातें गठबंधन के हित में कितनी हैं, यह तो समय बतायेगा।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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