बिहार में अकेले दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में कांग्रेस! महागठबंधन परेशान, बीजेपी की बल्ले-बल्ले!

बिहार विधानसभा चुनाव आते-आते राजनीति कौन-कौन से रंग देखेगी, कहना मुश्किल है। कुछ समय पहले तक लालू यादव की पार्टी राजद कांग्रेस के बिना चुनाव लड़ना चाह रही थी। फिर किसी तरह महागठबंधन की तैयारी हुई और इसके ‘राजकुमार’ तेजस्वी यादव बनाये गये। लेकिन अब जो खबर आ रही है, वह ज्यादा ही हैरान करने वाली है। खबर यह है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस बिहार में अकेले दम पर चुनाव लड़ना चाह रही है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन वह जिस रास्ते पर चल रही है, उससे तो ऐसा ही लग रहा है। अगर वाकई में कांग्रेस बिहार में अकेले चुनाव लड़ती है तो कहना मुश्किल है इसका नतीजा क्या होगा। लेकिन बिहार में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद के हाथ से तोते तो जरूर उड़ जायेंगे।

बिहार की राजनीति से जानकारी यही मिल रही है कि कांग्रेस राज्य में अपनी मूल ताकत का अंदाजा करना चाह रही है। ताकि बिहार की राजनीति में खुद के दम पर पार्टी को सक्रिय किया जा सके। बिहार में कांग्रेस की नैया पार लगाने के लिए जिस नेता का उसने चयन किया है वह है कन्हैया कुमार। आगामी बिहार चुनाव में कांग्रेस के पाले से कन्हैया कुमार की भूमिका विशेष होगी, इसका अंदाजा लग गया है। कांग्रेस बिहार में कन्हैया कुमार की भूमिका को बढ़ा रही है और इसकी विधिवत शुरुआत होली के बाद होने वाली है। 16 मार्च से कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ शुरू होने वाली है। इस यात्रा में पार्टी का मुख्य फोकस बिहार के युवा मतदाता होंगे। राजद के तेजस्वी यादव भी ऐसी ही यात्रा कर चुके हैं। तेजस्वी बेरोजगारी को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाकर अपने कोर वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर चुके हैं। ऐसे में यह यात्रा आरजेडी के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।

कांग्रेस 16 मार्च से मोतिहारी के भितिहरवा आश्रम से यह पदयात्रा शुरू करने जा रही है। बता दें कि यह वही जगह है जहां से महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी। यानी कांग्रेस अपनी ऐतिहासिक विरासत को भुनाना चाहती है और जनता के बीच अपनी पुरानी छवि को फिर से जिंदा करने की कोशिश कर रही है।

अब सवाल यह है कि कन्हैया कुमार राजद के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन सकते हैं। जबकि वह न तो बिहार में चल सके हैं और न ही दिल्ली में। 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बेगूसराय से सीपीआई के टिकट पर बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से बुरी तरह हार गये थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता मनोज तिवारी ने भी उन्हें उत्तर-पूर्वी दिल्ली से हराया था। कांग्रेस भले ही कन्हैया आगे रखकर बिहार का चुनावी समर जीतना चाह रही है, लेकिन आशंका है कि उनका पिछले फेल्योर रिकॉर्ड पार्टी के लिए नुकसानदायक न साबित हो जाये। बिहार के चुनाव में अभी थोड़ी देरी है, लेकिन अगर कांग्रेस वास्तव में इसी रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है तो फिलहाल खुश होने की बात सबसे ज्यादा बीजेपी के लिए है। सियासी विश्लेषक भी बीजेपी के लिए खु़शखबरी के तौर पर देख रहे हैं।

मगर एक बात यह भी है अगर कांग्रेस का दांव चल गया और कन्हैया कुमार सफल हो गयो तो राजद और विशेष कर लालू प्रसाद यादव के माथे पर पसीना आना तय है। लालू यादव तो पहले से ही कन्हैया कुमार के बिहार की राजनीति में आने को लेकर आशंकित हैं, क्योंकि उन्हें भय था कि अगर कन्हैया कुमार की राजनीति चमक गयी तो उसका असर उनके बेटे तेजस्वी यादव की राजनीति पर पड़ सकता है। अगर कन्हैया कुमार बिहार में सफल होते हैं तो यह आरजेडी के लिए नयी चुनौती तो जरूर बनेंगे।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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