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Jharkhand से रूठे हैं मेघ, किसानों को सता रही है सुखाड़ की आशंका, बारिश को लेकर झारखंड देश में सबसे बदनसीब

Clouds are angry with Jharkhand, fear of drought is troubling the farmers

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

बारिश के मौसम में आषाढ़ का एक महीना गुजर गया, सावन के भी नौ दिन गुजर गये, लेकिन मेघ हैं कि झारखंड से रूढे हुए हैं। वहीं दूसरे राज्यों की बात करें तो कई राज्य ऐसे हैं जहां मेघों ने तबाही मचा रखी है। राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्य भारी बारिश की मार झेल रहे हैं। वहां बाढ़ का खतरा मंडराया हुआ है। पड़ोसी राज्य बिहार में भी भले ही औसत से कम बारिश हुई है, लेकिन वहां भी बाढ़ के हालात बने हुए हैं। लेकिन पानी से तरस रहा है तो झारखंड। इस साल झारखंड बारिश के पानी के लिए तरस गया है। राज्य में देश में सबसे कम पानी बरसा है। औसत की बात करें तो झारखंड में अब तक जितनी बारिश होनी चाहिए थी, उसकी 41 फीसदी बारिश कम हुई है। इस साल एक बड़ी ही दिलचस्प बात देखने को मिली है। पूरे देश को मॉनसून आने का संदेश देने वाले केरल में भी कम बारिश हुई है। केरल देश में म़ॉनसून का प्रवेश द्वारा कहलाता है। बारिश सबसे पहले केरल में ही होती है, लेकिन इस बार केरल राज्य में भी औसत से कम बारिश हुई है। अब तक केरल में 29 प्रतिशत बारिश कम हुई है।

मौसम विभाग 15 जुलाई से मॉनसून के फिर सक्रिय होने का संकेत दे रहा है

मौसम विभाग ने 15 जुलाई से फिर से मॉनसून के झारखंड मे सक्रिय होने की बात कह रहा है। अगर झारखंड में मॉनसून फिर सक्रिय हो जाता है और अच्छी बारिश हो जाती है तो किसानों के चेहरे खिल जायेंगे, अन्यथा इस समय भरपूर बारिश नहीं होने के कारण पूरे झारखंड में सुखाड़ की आशंका गहरा गयी है। झारखंड के कई जिलों में किसानों ने धान की रोपनी भी नहीं की है।

इस समय बारिश में जो असमानता दिखाई दे रही है, वह जलवायु परिवर्तन के कारण या हुआ माना जा रहा है। यह जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया असमय वर्षा, तूफान, सूखा और मौसम में बदलाव इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। झारखंड भी इससे अछूता नहीं है।

पिछले कई वर्षों से झारखंड में अनियमित बारिश की स्थिति बन गयी है

पिछले वर्षों के बारिश के रिकॉर्ड को देखें तो झारखंड में अनियमित बारिश की स्थिति बन गयी है। 2022 में भी राज्य सरकार ने 24 जिलों में से 22 जिलों को सूखा ग्रस्त जिला घोषित किया है। इसके लिए केन्द्र सरकार से करीब 10 हजार करोड़ रुपये की आपदा सहायता की मांग भी की गयी थी। यही स्थिति 2021 और 2020 में भी देखी गयी थी। उसके पहले के वर्षों में झारखंड सुखाड़ की स्थिति से गुजर चुका है।

आखिर झारखंड में क्यों साल-दर-साल कम हो रही है बारिश?

पूरी दुनिया में इस समय ग्लोबल वार्मिंग का कहर जारी है। इससे भीषण गर्मी पड़ने के साथ बारिश में असमानता भी  देखी जा रही है। झारखंड भी इससे अछूता नहीं है। शहरीकरण का विकास, जंगलों का कटते जाना, प्लास्टिक पर नियंत्रण नहीं लग पाना ऐसा अनेकों कारण है जिसने बारिश को प्रभावित किया। यही झारखंड था जब यहां गर्मियों के मौसम में दिन में गर्मी पड़ जाती थी तो शाम तक बारिश हो जाती थी। यहां का मौसम इतना सुहावना था कि पंखों तक की बिक्री नहीं होती थी। और आज स्थिति यह है कि बिना एसी को लोग रहना नहीं चाहते। जाहिर है हमने ही यहां के मौसम का सत्यानाश कर दिया है। दिनोदिन यह स्थिति और ही बिगड़ती जायेगी। आज हम बारिश नहीं होने का रोना रो रहे हैं। राज्य को सुखाड़ घोषित कर दे रहा हैं। सुखाड़ के कारण राहत की मांग कर रहे हैं। सहायता राहत कितनी भी दे दी जाये, सुखाड़ के कारण हर साल जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई कहां से होगी।

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