‘शिवलिंग’ नहीं ‘फव्वारा’, बात कुछ हजम नहीं हुई
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
ज्ञानव्यापी मस्जिद विवाद में अदालत में सुनवाई होनी है। इस सुनवाई में अदालत के ही आदेश के बाद मस्जिद परिसर में ली गयी सैकड़ों तस्वीरें मंदिर और मस्जिद के होने न होने की गवाह बनेंगी। फिलहाल सोमवार को हुए सर्वे में मिले शिवलिंग को लेकर हिन्दू और मुस्लिम पक्ष उलझे हुए हैं। मुस्लिम पक्ष सिरे से वहां शिवलिंग होने के दावे को नकार रहा है, लेकिन वह यह बात क्यों भूल जा रहा है कि तीन दिनों के सर्वे में सैकड़ों की संख्या में तस्वीरें भी ली गयी हैं और वीडियोग्राफी भी करायी गयी है। इन तस्वीरों में हिन्दू मंदिर के कई साक्ष्यों के होने के प्रमाण दर्ज किये जाने का दावा किया जा रहा है। मंदिरों की दीवारों पर हिन्दू प्रतीक चिह्नों के साथ संस्कृत में उकेरे गये श्लोक का भी दावा किया जा रहा है। ऐसा चीजें दुनिया की किस मस्जिद में हैं?
सर्वे का काम तीन दिनों और करीब 12 घंटे तक चला था। इस दौरान करीब पंद्रह सौ तस्वीरें खींची गयीं और वीडियोग्राफी भी की गयी। इन्हें कोर्ट के सामने पेश की जाने वाली रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत किया जाएगा। इन्हीं तस्वीरों के आधार पर हिंदू पक्ष मंदिर होने का दावा कर रहे हैं, वहीं मुस्लिम पक्ष को वहां ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। फिर भी ज्ञानवापी परिसर में तीसरे दिन किये गये सर्वे के बाद हिंदू पक्ष काफी उत्साहित नजर आ रहा है। उस पर वजूखाने वाली जगह के नीचे 12 फुट लंबा और करीब 8 फुट चौड़ा शिवलिंग ने पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। शिवलिंग मिलने की खबर के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए न्यायालय ने उस स्थान को सील करवा दिया।
मुस्लिम पक्ष द्वारा शिवलिंग को फव्वारा बताना भी हजम नहीं होने वाला तर्क है। अगर थोड़ी देर के लिए यह मान भी लिया जाये कि वह फव्वारा है तो वह कब से फव्वारा है। सैकड़ों वर्षों से जिस प्रकार मुस्लिम आक्रांताओं ने हिन्दू धर्मस्थलों को नष्ट-भ्रष्ट किया है, तो ऐसे में इस शिवलिंग से छेड़छाड़ या तोड़फोड़ कर देना भी कोई बड़ी बात नहीं लगती। हो सकता है शिवलिंग को ही तोड़फोड़ कर फव्वारा बना दिया गया हो?
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