न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस पार्टी के तीन दिवसीय नव संकल्प शिविर में पार्टी को बचाने की चिंता हो रही है। कांग्रेस की इस चिंता में शामिल है कि कैसे राहुल गांधी को पार्टी का फिर से अध्यक्ष बनाया जाय। लगता है कांग्रेस ने उसका रास्ता ढूंढ लिया है। चिंतन शिविर में कांग्रेस ने अपने परंपरागत तौर-तरीकों को बदलाव के बहाने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्लान लगभग तैयार कर लिया है।
राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिवसीय चिंतन शिविर चल रहा है। इस चिंतन शिविर में पार्टी पांच राज्यों में चुनाव में हार का आकलन करने के साथ पार्टी के कायाकल्प का चिंतन कर रही है। पार्टी इन दिनों लम्बे समय से अपने अंदरूनी कलह से भी परेशान है और कई दिग्गज कांग्रेसी नेता उसके लिए सिरदर्द बने हुए हैं। उन पर भी नकेल कसने का पार्टी उपाय ढूंढ रही है। कांग्रेस तीन दिनों के बाद जब यह शिविर समाप्त करेगी तब हो सकता है इन समस्याओं का समाधान भी उसके पास हो।
इस चिंतन शिविर से खबर आ रही हैं कि पार्टी परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए कांग्रेस जनों के परिवार के एक सदस्य को ही टिकट देने का फैसला करने जा रही है। हो सकता है इस पर सहमति भी बन जाये। इसके साथ, कांग्रेस यह व्यवस्था करने जा रही है कि एक व्यक्ति, एक पद पर पांच साल तक ही रह सकता है। चिंतन शिविर की बड़ी खबर यही है। राजस्थान प्रभारी और पार्टी महासचिव अजय माकन ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि एक पद पर एक व्यक्ति 5 साल के कार्यकाल तक ही रह सकता है। 5 साल का कार्यकाल पूरा कर लेने के बाद उसे 3 साल कूलिंग ऑफ पीरियड में रहना होगा तभी उसे दोबारा पद मिलेगा।
इसका बड़ा गहरा मतलब है। कांग्रेस के वे नेता जो आलाकमान की नजरों के कांटे की तरह चुभते हैं, उनकी छुट्टी होना तय है। कांग्रेस पार्टी के इस फैसले के बाद कई दिग्गज नेताओं की एक झटके से छुट्टी हो जायेगी, जो पांच वर्षों से किसी पद पर विराजमान हैं। लेकिन कांग्रेस की असल चिंता तो राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाना है, इस ‘उपाय’ से वह खुद ही अध्यक्ष बन जायेंगे। सोनिया गांधी इस समय कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष हैं, और वह दोबारा अध्यक्ष बनने से इनकार भी कर चुकी हैं। अगर उन पर भी यह नियम लागू होता है तो जाहिर है फिलहाल तो वह अध्यक्ष नहीं बनेंगी, ऐसे में राहुल गांधी अध्यक्ष के अगले विकल्प बच जायेंगे। बशर्ते कांग्रेस परिवार से बाहर किसी के अध्यक्ष बनाने का फैसला न करे। हालांकि इसकी संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आती। गांधी परिवार भले ही ‘कमल’ से परहेज करे, लेकिन उसकी इच्छाएं कमल की ही तरह हैं। कहावत है, पानी जैसे-जैसे ऊपर बढ़ता है, कमल भी पानी के सतह के साथ ऊपर बढ़ता जाता है। लेकिन जब पानी घट जाता है, कमल (इच्छाएं) वहीं का वहीं रह जाता है।
चिंतन शिविर से पहले कांग्रेस को मिले हैं कई सुझाव
चिंतन शिविर से कांग्रेस को कई सुझाव मिले हैं जिन पर भी पार्टी विचार कर रही है-
- कांग्रेस पार्टी में तमाम कमेटियों में 50 प्रतिशत स्थान एससी एसटी और ओबीसी नेताओं को दिए जाने की मांग की गई है।
- पार्टी नेताओं ने एक व्यक्ति एक पद और एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट दिए जाने की भी वकालत की गयी है।
चिंतन शिविर में चर्चा के बाद जो भी सहमति बनेगी उस पर सीडब्ल्यूसी की मुहर के बाद इसे पार्टी में लागू कर दिया जाएगा।
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