झारखंड में कथित तौर पर हुए शराब घोटाले के मामले में छत्तीसगढ़ एसीबी की आर्थिक अपराध शाखा ने IAS विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के अधिकारी गजेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है.
जिस मामले में छत्तीसगढ़ एसीबी ने झारखंड सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है, उस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नवंबर 2024 में पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा रखा है. विनय चौबे अभी पंचायती राज के सचिव हैं.
उल्लेखनीय है कि रायपुर के आर्थिक अपराध शाखा ने शराब घोटाले को लेकर मामला दर्ज किया था. इस मामले में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के अलावा झारखंड के आइएएस और तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे को भी आरोपी बनाया गया था.
जानकारी के मुताबिक, ईओडब्लू रायपुर के इंस्पेक्टर ने अफसरों के खिलाफ जो प्राथमिकी दर्ज की थी, उसकी शिकायत रांची के अरगोड़ा थाना क्षेत्र के रहने वाले विकास सिंह ने की थी. शिकायत की जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
विकास सिंह ने छत्तीसगढ़ के अधिकारी अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट पर आरोप लगाया था कि शराब घोटाला करके छत्तीसगढ़ सरकार को अरबों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया. आरोपों में यह भी कहा गया था कि इसी सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर झारखंड की आबकारी नीति को बदलवाया और सरकार के राजस्व को क्षति पहुंचायी
आरोपों में यह भी कहा गया था कि दोनों राज्यों के अधिकारियों ने मिलकर मैन पावर सप्लाई में भी घोटाला किया. आरोपों के मुताबिक, दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच वर्ष 2021 के दिसंबर से लेकर जनवरी 2022 कई बैठकें हुई थीं.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले अप्रैल 2023 में शराब घोटाले को लेकर आईएएस विनय चौबे और के सत्यार्थी ने ईडी के रायपुर कार्यालय में अपना बयान दर्ज कराया था.
जांच एजेंसी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था.
साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी, जिससे सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है.