हेमंत को जवाब नहीं देकर ‘पिछड़’ रही है भाजपा! झारखंड में कैसे लायेगी ‘परिवर्तन’

By not responding to Hemant, BJP is falling behind! How will it bring about change?

भाजपा झारखंड में ‘परिवर्तन यात्रा‘ लेकर निकली है। परिवर्तन यात्रा का मकसद हेमंत सरकार को हटाना और भाजपा को सत्ता दिलाना है। लेकिन भाजपा सत्ता हासिल करेगी कैसे? परिवर्तन का नारा देने से तो परिवर्तन नहीं आयेगा। परिवर्तन लाने के लिए जनता की उस सोच और मानसिकता को बदलना हो, जिसमें झामुमो प्लस पाइंट में चल रहा है। भाजपा की परिवर्तन यात्रा के जवाब में झामुमो ने परिवर्तन यात्रा भी निकाली और उसमें भी आगे-आगे चल रहा है।

निस्संदेह भाजपा राष्ट्रीय और बड़ी पार्टी है, लेकिन चुनाव झारखंड में हो रहा है, जहां क्षेत्रीय मुद्दों से ही चुनाव जीता जा सकता है। भाजपा के फिलहाल एक ही मुद्दा है- ‘बांग्लादेशी घुसपैठ’। बांग्लादेशी घुसपैठ बड़ा मुद्दा जरूर है, लेकिन यहां सोचना होगा कि बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर अगर पश्चिम बंगाल में चुनाव में ममता बनर्जी को हराना आसान नहीं है, तो झारखंड में यही एक मुद्दा सबसे प्रभावी मुद्दा कैसे हो सकता है।

भाजपा पिछड़ कहां रही है?

यह एक बड़ा प्रश्न है कि भाजपा पिछड़ कहां रही है! भाजपा के केन्द्रीय और शीर्ष नेता झारखंड का लगातार दौरा कर रहे हैं। वे सभी झारखंड की हेमंत सरकार पर हमले भी कर रहे हैं। उन्हें भ्रष्टाचारी भी बता रहे हैं। लेकिन भाजपा के इन तमाम नेताओं पर अकेले हेमंत सोरेन भारी पड़ रहे हैं। हेमंत भाजपा पर जो आरोप लगा रहे हैं, उसका जवाब ठीक से नहीं दे पा रहे हैं। उन सवालों को काउंटर नहीं करना भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी साबित हो रही है। जब तक हेमंत सोरेन के सवालों को काउंटर नहीं भाजपा नहीं करेगी, चुनाव में जीत का वरण करना उसके लिए बेहद मुश्किल होगा।

हक मांगों तो जेल में डाल देते हैं हेमंत सोरेन का बड़ा आरोप

हेमंत सोरेन ने भाजपा की केन्द्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह झारखंड का भला नहीं कर सकती, लेकिन अपने हक के पैसे मांगने  पर जेल में डाल देती है। यह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है कि हेमंत सोरेन के साथ जो हुआ क्या वाकई वही है जैसा कि वह कह रहे हैं। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि पांच महीने जेल में रहने के कारण सद्भावना लहर हेमंत सोरेन के पक्ष में जा सकती है। भाजपा इस मुद्दे को अपने पक्ष में कैसे करेगी?

कोरोना पर हेमंत के सवाल का क्या दिया जवाब?

हेमंत सोरेन अपनी हर जनसभा में कोरोना का मुद्दा उठाते हैं। कोरोना में झारखंड की जनता की सेवा करने के लिए अपनी पीठ भी थपथपाते हैं और केन्द्र सरकार ‘कुछ नहीं करने’ का उलाहना भी देते हैं। उत्पाद सिपाही दौड़ में अभ्यर्थियों की मौत का कारण कोरोना वैक्सीन को बताते हैं। यह सच्चाई है या भ्रम भाजपा ने अब तक किसी मंच पर इसे स्पष्ट नहीं किया।

1.36 लाख करोड़ के बकाया का जवाब नहीं दिया

चूंकि भाजपा इस समय केन्द्र में है, इसलिए उसे अच्छी तरह से पता है कि रायल्टी को लेकर झारखंड का कोई बकाया केन्द्र सरकार पर है या नहीं। हेमंत बार-बार कह रहे हैं कि उनका 1.36 लाख करोड़ बकाया है। अगर यह राशि झारखंड को मिल जाये तो राज्य की तकदीर बदल देंगे, मंईयां सम्मान योजना की राशि दोगुनी कर देंगे। अब भाजपा ही बताये कि उसकी चुप्पी का जनता क्या मतलब निकाले?

पेंशन योजना और आवास योजना का लाभ नहीं देने का आरोप

हेमंत सोरेन हर मंच पर यह आरोप लगाना नहीं भूलते कि केन्द्र ने पेंशन योजना और पीएम आवास योजना के लाभ से झारखंड की जनता को वंचित रखा। इसलिए उन्हें सर्वजन पेंशन योजना, मंईयां पेंशन योजना, अबुआ आवास योजना आदि  लानी पड़ी और आज झारखंड की जनता को इसका लाभ मिल रहा है। अगर हेमंत सोरेन के आरोपों में सच्चाई है तो यह भाजपा के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है? और सच्चाई नहीं है तो फिर आंकड़ों के साथ इसकी सच्चाई अब तक बाहर क्यों नहीं आयी?

क्या कल्पना सोरेन के आरोपों का जवाब देगी भाजपा?

कल्पना सोरेन ने भाजपा के ऊपर बड़ा आरोप लगाया कि अगर हेमंत सोरेन को 5 साल की जेल नहीं हुई होती तो अब तक झारखंड की महिलाओं को 7 महीने मंईयां सम्मान योजना का लाभ मिल गया होता। क्या भाजपा के पास इस सवाल का जवाब है? हालांकि झामुमो से भी यह सवाल किया जा सकता है, यह योजना 7 महीने नहीं, बल्कि उसके काफी पहले भी शुरू की जा सकती थी, लेकिन फिलहाल सवाल करने का समय भाजपा के लिए है कि कल्पना सोरेन के सवाल का उसके पास क्या जवाब है और इसे सवाल को वह कैसे काउंटर करेगी?

मंईयां सम्मान योजना और आपकी सरकार योजना को कैसे मात देगी भाजपा

भाजपा निस्संहेद ऐसी योजनाएं ला रही है जो झारखंड ही नहीं, किसी भी राज्य के लिए दूरगामी और भविष्य की योजना साबित हो सकती हैं। लेकिन झारखंड ही नहीं, किसी भी राज्य की यह स्थिति है कि वहां की अधिकांश आबादी को आज और अभी चाहिए। हेमंत सोरेन इस समय वही काम कर रहे हैं। वह राज्य की एक बड़ी तो नहीं कहेंगे, एक निश्चित आबादी को हर महीने ‘कुछ’ दे रहे हैं। जो कि उनके बड़े काम आ रहा है।

अब भाजपा से और सवाल नहीं। अब भाजपा मंथन करे कि झारखंड और झारखंड की जनता को जीतने के लिए उसकी तैयारियों में कितना दम है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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